कांग्रेस उपवास : कई पीढ़ी बदलने के बावजूद फिर झूठ! जनता के साथ छल !
वाह रे अमृत नाहटा, इतने वर्ष पहले अपनी फ़िल्म के ज़रिए जो कोंग्रेसी चरित्र दिखाया, आज भी वह नही बदला!
New Delhi, Apr 10 : मुझे याद है, मैं बहुत छोटी थी, जब फ़िल्म देखी थी, “किस्सा कुर्सी का”!! सत्ता के कुरूप चेहरे को दिखाती विवादास्पद फ़िल्म, इंदिरा गांधी और संजय गाँधी के ऊपर करारा सटायर थी! कांग्रेस द्वारा यह फ़िल्म प्रतिबंधित की गई थी। अभूतपूर्व हंगामा हुआ था! शबाना आज़मी उत्पल दत्त और मनोहर सिंह के बेजोड़ अभिनय से सजी किस्सा कुर्सी का, के अनेक दृश्य हिलाने वाले थे, शायद इसीलिए, मेरे अबोध मन में फ़िल्म के कई दृश्य सदा के लिए अंकित हो गये थे!
फ़िल्म के एक दृश्य में भ्रष्ट कांग्रेस “प्रेसिडेंट गंगाराम” (मनोहर सिंह) उपवास रखते हैं। जनता उनके उपवास को देख अभिभूत है। ( मेरा बालमन भी!) अगले ही दृश्य में अनशन पर बैठे मनोहर सिंह का ब्लड प्रेशर नापने डॉक्टर भीतर आता है और कमरे से सभी को बाहर भेज देता है। सबके बाहर जाते ही नेता (मनोहर सिंह) डॉक्टर का ब्लड प्रेशर इंस्ट्रूमेंट खोलता है, और डॉक्टर से कहता है, आज क्या लाये, चिकन बिरयानी! बहुत भूख लगी है! रक्तचाप नापने वाले यंत्र के भीतर से बिरयानी निकलती है, भ्रष्ट नेता सानंद बिरयानी खाता है, अनशन की आड़ में छक कर भोजन करता है और बाहर निरीह भोली जनता (शबाना आज़मी) उसके अनशन पर अभिभूत हो नेता जी की जयजयकार कर रही है!
अपने डॉक्टर पिता के ब्लड प्रेशर इंस्टूमेंट को मैं घर में रोज़ देखती थी, गरीब लाचार बीमारों के इलाज के लिए प्रयुक्त साधन को पाप का साधन बनते देख बालमन जैसे टूट गया था, अविश्वास ने नाज़ुक कलेजे को मरोड़ दिया था।
वह तब था!
राजनीति में भी चरित्र कहीं बदला करते हैं! दलितों के समर्थन में बैठे कॉंग्रेसी नेताओं के छद्म उपवास और भठूरा प्रेम की राष्ट्रीय छवियों को देख किस्सा कुर्सी का फ़िल्म याद आ गई।
वाह रे अमृत नाहटा, इतने वर्ष पहले अपनी फ़िल्म के ज़रिए जो कोंग्रेसी चरित्र दिखाया, आज भी वह नही बदला!
कई पीढ़ी बदलने के बावजूद फिर झूठ! जनता के साथ छल!
छद्म सहानुभूति!