IIT के 50 पूर्व छात्रों ने पॉलिटिकल पार्टी बनाया, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उतारेंगे कैंडिडेट

आप IIT से पढ़े हैं, इससे यह कहां तय होता कि आपकी समाज और अवाम के साथ गहरी प्रतिबद्धता भी है! यह सब तो तब समझ में आयेगा, जब यह पचास का ग्रुप अपना कार्यक्रम दिखायेगा!

New Delhi, Apr 24 : किसी ने IIT से डिग्री ली है। वह कहीं मोटी तनख्वाह पर काम करता था। अब वह या ‘पचास आइआइटियन का उसका ग्रुप’ अचानक ‘बहुजन क्रांति’ करना चाहता है! और शुरुआत सन् 2020 में बिहार से करना चाहता है! हर किसी का लोकतांत्रिक अधिकार है राजनीतिक दल बनाना या राजनीति में उतरना। पर आप अचानक बहुजन समाज के लिए ‘क्रांति’ कर देंगे, कुछ बड़ा दावा नहीं है?

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आप IIT से पढ़े हैं, इससे यह कहां तय होता कि आपकी समाज और अवाम के साथ गहरी प्रतिबद्धता भी है! यह सब तो तब समझ में आयेगा, जब यह पचास का ग्रुप अपना कार्यक्रम दिखायेगा! अभी तक तो सिर्फ अखबारों और सोशल मीडिया में कुछ के नाम और चेहरे दिख रहे हैं! पर लोगों के बीच एक का भी चेहरा नहीं दिखा!
अचरज कि इस पार्टी के गठन की खबर देश का सबसे बड़ा कारपोरेट अखबार पहले पेज पर दे रहा है, जिसने मान्यवर कांशीराम की पार्टी के गठन की खबर न जाने कितने समय बाद किस पेज के किस कोने में छापी थी! मानना पड़ेगा, प्रोपगेंडा के मामले में इस ‘बहुजन आजाद पार्टी’ के सितारे शुरुआत से ही बुलंदी पर हैं! कुछ रहस्यमय नहीं लग रहा है?

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बहुजन समाज की राजनीति हो चाहे क्रांति का एजेंडा, इसमें कुछ भी रहस्यमय नहीं हो सकता! इसमें घालमेल नहीं हो सकता! आंबेडकर के साथ आपके प्रेरणा-पुरुष सुभाष बोस और एपीजे अब्दुल कलाम भी हैं! Bahujanक्या ‘आइआइटियन बिहारी बाबू लोगन’ को मालूम है कि कलाम साहब भारत में सिर्फ ‘दो पार्टी सिस्टम’ चाहते थे! भाजपा-संघ को ऐसे ही अल्पसंख्यक पसंद हैं!
और सुभाष चंद्र बोस! आजादी की लड़ाई के दौर के लोग हैं, उनकी बातें फिर कभी!

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माफ करें भाई आप लोग, आप लोगों की बिहार में ज्यादा रुचि नजर आ रही है! सुना है, आप में किसी एक को किसी खास पार्टी की एक सांसद के राजनीतिक अभियान में देखा जा चुका है! मजेदार बात है कि जहां चुनाव होने वाले हैं, ऐसे राज्यों, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ या राजस्थान में आप लोगों की कोई खास रुचि नहीं है! बिहार में ही ज्यादा है, जहां जल्दी ही आप लोग अवतरित होने वाले हैं! यह भी कुछ कम दिलचस्प बात नहीं कि बहुजन समाज के किसी भी प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता या विचारक से आप लोगों का आज तक कोई संवाद नहीं हुआ; क्या यह सब बातें आपको कुछ ज्यादा ही रहस्यमय और संदिग्ध नहीं बना रही हैं?
मैं तो आप लोगों को बधाई और शुभकामना देता पर सामने आए बगैर आपका सघन और व्यापक प्रोपगेंडा आपको काफी रहस्यमय बना रहा है! पता नहीं, यह सिर्फ मेरी आशंका है या यही सच है! आइये, सामने आइये और असली चेहरा दिखाइये!

(वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)