अमेरिका से शुरू हुआ था ‘कास्टिंग काउच’ शब्द, कोई क्षेत्र नहीं है इससे अछूता
पूर्व प्रधानमंत्री पी. बी. नरसिम्हा राव ने अपनी पुस्तक में चुनाव में टिकट चाहनेवाली महिला नेत्रियों के ‘कास्टिंग काउच’ का जिक्र किया है।
New Delhi, May 01 : कास्टिंग काउच’ शब्द इन दिनों काफी चर्चा में है। इसका इस्तेमाल किसी काम के एवज में उस महिला से शारीरिक सुख प्राप्त करने के संदर्भ में किया जाता है। मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान ने अभी बॉलीबुड में ‘कास्टिंग काउच’ को उचित ठहराने वाला बयान दिया था। उसके बाद कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने संसद के भी ‘कास्टिंग काउच’ से अछूता न होने की बात कह कर लोगों को चौंका दिया। हालाँकि राजनीति में ‘कास्टिंग काउच’ कोई नई बात नहीं है।
पूर्व प्रधानमंत्री पी. बी. नरसिम्हा राव ने अपनी पुस्तक में चुनाव में टिकट चाहनेवाली महिला नेत्रियों के ‘कास्टिंग काउच’ का जिक्र किया है। मीडिया क्षेत्र से भी जब तब ‘कास्टिंग काउच’ की ख़बरें आती रहती हैं। शिक्षा क्षेत्र में भी परीक्षाओं में नंबर बढ़ाने और पीएचडी कराने के लिए यदा -कदा इस शब्द की चर्चा सुनने को मिल जाती है। कई मामलों में महिलाओं द्वारा पुरुषों का ‘कास्टिंग काउच’ करने की ख़बरें भी आती हैं। हालाँकि उसका अनुपात बहुत कम होता है। यानी समाज का कोई तबका इससे अछूता नहीं है। यह अलग बात है कि इसके लिए फिल्म जगत ज्यादा बदनाम है।
अभी कुछ ही दिन पूर्व हैदराबाद में तेलगु फिल्मों की अभिनेत्री श्री रेड्डी ने निर्वस्त्र होकर फिल्म निर्माताओं के संगठन के दफ्तर के सामने धरना दिया था। उनका आरोप था कि कई स्तरों पर महिला कलाकारों का शोषण होता है।
मगर यह मसला नया नहीं है। ‘कास्टिंग काउच’ शब्द सौ साल से भी अधिक पुराना है। इसकी उत्पति अमेरिका में हुई थी। वहां फिल्म निर्माता लड़कियों / महिला कलाकारों को रोल देने के बदले उनसे शारीरिक सुख लेते थे। इसके लिए वे अपने दफ्तर के सोफे, जिसे ‘काउच’ कहते है, का इस्तेमाल करते थे। यह काम फिल्म में लेने यानी ‘कास्ट’ करने के बदले होता था इसलिए इसका नाम ‘कास्टिंग काउच’ पड गया। अमेरिका से चलते हुए ‘कास्टिंग काउच’ भारत तक पहुँच गया। वैसे यह शब्द भले ही अमेरिका में गढ़ा गया हो ,लेकिन भारत के इतिहास में भी ‘कास्टिंग काउच’ जैसी घटनाओं का उल्लेख मिलता है। इसमें जोर -जबरदस्ती नहीं होती, यह एक तरह की सौदेबाजी है।