वीडियो- कांग्रेस प्रवक्ता ने दी निष्पक्ष पत्रकारिता की नसीहत, तो एंकर ने चला दिया हाथ

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वीडियो में देखा जा सकता है कि जैसे ये सुमित अवस्थी के करीब जाकर राजीव त्यागी बोलते हैं, वैसे एंकर सुमित अवस्थी अपना आपा खो देते हैं और राजीव त्यागी पर न सिर्फ हाथ छोड़ते हैं।

New Delhi, May 03 : सोमवार 30 अप्रैल को एक डिबेट में भाग लेने उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित मुकेश अंबानी के मालिकाने वाले न्यूज 18 चैनल पहुंचे कांग्रेस प्रवक्ता को एंकर ने न सिर्फ धक्का दिया, बल्कि दो हाथ जड़ भी दिए। और दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रवक्ता महोदय इतने भले थे कि वह चुपचाप यह सहन कर फिर से बहस के लिए बैठ गए।

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सोमवार को एंकर सुमित अवस्थी के कार्यक्रम ‘हम तो पूछेंगे’ में पहुंचे कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी के साथ यह वारदात हुई। उनको धक्का और दो हाथ लगाने का काम किसी और ने नहीं बल्कि खुद एंकर सुमित अवस्थी ने किया। सुमित अवस्थी राजीव त्यागी के एक सवाल से भड़क गए थे। राजीव त्यागी जिस मुद्दे पर बहस के लिए पहुंच थे, वह था — राहुल का हाथ, बीमार लालू के साथ। राजीव त्यागी जैसे ही डिबेट में पहुंचे तो वहां पहले से बैठे एंकर के पास जाकर बोले, ‘कभी राफेल रक्षा सौदा, जज लोया की मौत और अमित शाह के बेटे और पीयूष गोयल पर भी बहस कराने की हिम्मत कर लो।’

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वीडियो में देखा जा सकता है कि जैसे ये सुमित अवस्थी के करीब जाकर राजीव त्यागी बोलते हैं, वैसे एंकर सुमित अवस्थी अपना आपा खो देते हैं और राजीव त्यागी पर न सिर्फ हाथ छोड़ते हैं, tyagiबल्कि आदेश देते हुए कहते हैं कि चुपचाप जाकर अपनी सीट पर बैठो।

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अंबानी के चैनल के एंकर के शब्द दोहराए जाएं तो कुछ इस प्रकार से हैं, ‘मुझे ड्रामा नहीं चाहिए। बैठो वहां जाकर। चुपचाप बैठो। बैठ जाओ चुपचाप।’
दूसरी तरफ कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी यह कहते हुए अपनी कुर्सी पर बैठते हैं कि आपने मुझे धक्का दिया है, क्योंकि मैंने आपको आइना दिखाया है। आपने मुझे धक्का दिया है सुमित अवस्थी।’
हालांकि अभी दोनों पक्षों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, पर वीडियो से साफ है कि संसद से लेकर सड़क तक और सड़क से लेकर स्टूडियो तक लोग मोदी भक्ति में पगलाए हुए हैं, ऐसे में अब जनता को तय करना है कि पागल लोगों को जनता के अस्पताल में भेजा जाए या फिर पागलों के अस्पताल में।

https://youtu.be/yQjWS5jR4z4

(वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)