बिहार के राज्यपाल ‘शिक्षा-दैत्यों’ की गुफा में प्रवेश कर रहे हैं

बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कठोर संकल्प किया है कि ‘मैं बी.एड.काॅलेजों के अवैध कारोबार को बंद करा कर मानूंगा।

New Delhi, May 04 : बिहार के राज्यपाल ‘शिक्षा-दैत्यों’ की गुफा में प्रवेश कर रहे हैं। देखना है कि अंततः गुफा से बाहर कौन निकल पाता है। अब तक तो शिक्षा दैत्य यानी शिक्षा माफिया ही बाहर निकलते रहे हैं। हालांकि सत्यपाल मलिक ने कठोर संकल्प किया है कि ‘मैं बी.एड.काॅलेजों के अवैध कारोबार को बंद करा कर मानूंगा। मुझे राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री का मैंडेट है।’ दरअसल बिहार मंे तो प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक की हालत जर्जर है। पर उसे ठीक करने की शुरूआत कहीं से तो होनी चाहिए।अच्छा है कि उच्चत्तर स्तर से ही शुरूआत हो।

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1972 में तत्कालीन मुख्य मंत्री केदार पांडेय ने उच्च शिक्षा को पटरी पर लाने का सफल प्रयास किया था।उस कारण उनका नाम इतिहास में दर्ज हो गया। लगता है कि सत्यपाल मलिक का नाम भी उसी तरह दर्ज होगा। यह अच्छी स्थिति है कि मलिक जी को इस मामले में प्रधान मंत्री व मुख्य मंत्री का सहयोग मिलेगा। मलिक जी गत सात महीने से बिहार के राज्यपाल हैं।राज्यपाल विश्व विद्यालयों के चांसलर होते हैं। विश्व विद्यालयों के मामले में उनके पास राज्य सरकार से भी अधिक शक्ति प्राप्त है। बहुत वर्षों के बाद किसी राज्यपाल ने उच्च शिक्षा की दुर्दशा की ओर सचमुच ध्यान दिया है।

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मन मोहन सरकार ने एक नमूना राज्यपाल बहाल किया था। उनका नाम था-देवानंद कुंवर। विधान मंडल के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने आए थे। बीच में ही कांग्रेसी विधायक ज्योति ने उनसे सवाल पूछ दिया-‘आजकल वी.सी. की बहाली में आपके यहां क्या रेट चल रहा है ?’ इसी पृष्ठभूमि में मौजूदा राज्यपाल सत्यपाल जी ने एक समारोह में कल कह दिया कि ‘बिहार में शायद ही कोई नेता होगा जिनका बीएड काॅलेज नहीं है।ऐसे काॅलेजों में गैर कानूनी तरीके से नामांकन होता है।मैंने कार्रवाई की तो सब मेरे खिलाफ हो गए।पर मैं किसी से डरने वाला नहीं हूं।’ राज्यपाल ने यह भी कहा कि अगस्त में संयुक्त प्रवेश प्रतियांगिता परीक्षा होगी।उसमें उत्तीर्ण छात्रों का ही बीएड कोर्स में दाखिला होगा।

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पर अब एक बड़ा सवाल है ।उस प्रवेश परीक्षा में कदाचार को राज्यपाल महोदय कैसे रोकेंगे ? सोच लें। कोई नवीन कार्य योजना बना लें। जरूरत पड़े तो केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों की मदद लें। कहीं भी कदाचार करवाना शिक्षा-दैत्यों के लिए आसान रास्ता है।तू डाल डाल तो हम पात पात ! बिहार सरकार किसी आशंकित छात्र आंदोलन के भय से कदाचार पर कारगर कार्रवाई नहीं कर पाती। नतीजतन शिक्षा के मामले में पीढि़यां बर्बाद हो रही हैं। जिनके पास पैसे हैं,वे अपने बाल- बच्चों को बाहर भेज कर पढ़वाते हैं।पर गरीब व पिछड़े घर के विद्यार्थियों का भगवान ही मालिक है। राज्यपाल मलिक का ताजा बयान भीषण प्रदूषण में साफ हवा के झोंके की तरह है।उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे उनके इस सफाई अभियान में सहायता करें। आम लोगों की दुआएं तो उनके साथ हैं।पर यहां तो हर क्षेत्र में निहितस्वार्थियों की भरमार है। इस पोस्ट पर भी उसकी झलक मिलेगी ! उनसे कोई उम्मीद न करें। राज्यपाल व राज्य सरकार डंडे का सहारा लें।बिहार की मौजूदा और आनेवाली पीढि़यां उन्हें दुआ दंेगी।  बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है तो कड़वी दवा जरूरी हो जाती है।कड़वी दवा दीजिए या होने वाले कैंसर से मरने दीजिए।दोनों में एक ही रास्ता है।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)