शौक से नहीं बल्कि मजबूरी में शुरु किया बिजनेस, सड़क किनारे ठेला लगाकर बन गई करोड़पति

पेट्रिसिया की कहानी में खास बात ये है कि उन्होने शौक से बिजनेस नहीं शुरु किया था, बल्कि हालात ने उन्हें ऐसा करने के लिये मजबूर कर दिया था।

New Delhi, May 30 : तमिलनाडु की पैट्रिसिया नारायण की कहानी उन करोड़ों युवाओं, महिलाओं और पुरुओं के लिये प्रेरणादायक हैं, जो हालात के सामने घुटने टेक देते हैं, या फिर भाग्य को कोसते हैं। शुरुआती जीवन में बुनियादी जरुरतों का अभाव झेलने वाली नारायण के पास स्किल के नाम पर सिर्फ खाना पकाना आता था। उन्होने अपने इसी स्किल को हथियार बना ली। उन्होने शुरुआत ठेले पर समोसे और ड्रिंक्स बेचने से की, आज वो चमचमाती कार से चलती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पैट्रिसिया आलीशान बंगले और 14 रेस्टोरेंट की मालकिन हैं। फिक्की ने उन्हें साल 2010 में वीमन ऑफ द ईयर के अवॉर्ड से सम्मानित किया था।

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पति करते थे मारपीट
दो बच्चों की मां पैट्रिसिया नारायण ने लव मैरिज किया था, उनके पति के पास कमाई का कोई साधन नहीं था, ऊपर से वो ड्रग एडिक्ट थे, patricia4आये दिन वो उनके साथ पैसों और दूसरी बातों को लेकर मारपीट करते रहते थे। रिपोर्ट के अनुसार पैट्रिसिया ने परिवार के खिलाफ जाकर लव मैरिज किया था, इस वजह से दोनों के माता-पिता ने उनसे नाता तोड़ लिया था। इस वजह से कुछ काम करने के अलावा उनके पास दूसरा कोई गुंजाइश नहीं था।

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फूड बिजनेस का रास्ता चुना
परिवार की आर्थिक हालात से बुरी तरह टूट चुकी पैट्रिसिया ने अपने दोनों बच्चों की खातिर कुछ बिजनेस करने का मूड बनाया, साल 1982 में उन्होने चेन्नई के मरीना बीच पर पहिया वाला एक कियोस्क खोला, जिस पर वो कॉफी, चाय और समोसे के साथ फलों के जूस भी बेचती थी। नारायण ने एक मैग्जीन से बात करते हुए बताया था कि पहले दिन उनके हाथ सिर्फ 50 पैसे आया था, लेकिन फिर धीरे-धीरे उनका कारोबार बढता चला गया।

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क्वालिटी पर दिया विशेष ध्यान
पैट्रिसिया नारायण अपने प्रोडक्ट या फूड के क्वालिटी पर विशेष ध्यान देती थी, जिसकी वजह से जल्द ही बाजार में लोग उन्हें जानने लगे। patricia2फिर धीरे-धीरे उन्होने अपना व्यापार बढाते हुए कैंटीन और कैटरिंग का रास्ता अपनाया, फिर उन्होने चेन्नई की मशहूर होटल चेन नेल्सन मनिखम रोड रेस्टोरेंट के साथ साझेदारी कर ली। कुछ महीने बाद ही वो इस कंपनी की डायरेक्टर बन गई।

बेटी और दामाद की मौत
इस बीच उन्हें एक जोरदार झटका भी लगा, उनकी बेटी और दामाद दोनों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। patricia3बेटी और दामाद की याद में उन्होने मुफ्त एंबुलेंस सर्विस शुरु की है, असहाय लोगों को ये मुफ्त एंबुलेंस की सेवा देती हैं। दरअसल नारायण की बेटी संदीपा के शव को ले जाने के लिये कोई एंबुलेंस मौजूद नहीं था, इसी वजह से उन्होने ऐसी सेवा शुरु की है।

बेटे ने दिया संबल
बेटी को खो देने के बाद पेट्रिसिया नारायण को उनके बेटे ने संबल दिया, वो अपनी मां के हर सुख-दुख में उनके साथ खड़ा रहा। patricia-narayanफिर पेट्रिसिया ने अपने बेटे प्रवीण के साथ रेस्टोरेंट चेन खोली, उन्होने इस रेस्टोरेंट का नाम अपनी बेटी के नाम पर संदीपा रखा। आज चेन्नई शहर में इस रेस्टोरेंट चेन के 14 आउटलेट्स हैं।

हालात ने करवाये बिजनेस
पेट्रिसिया की कहानी में खास बात ये है कि उन्होने शौक से बिजनेस नहीं शुरु किया था, बल्कि हालात ने उन्हें ऐसा करने के लिये मजबूर कर दिया था, patricia1लेकिन एक बार जब उन्होने काम शुरु किया, तो फिर उन्होने इसमें अपनी पूरी आत्मा झोंक दी। यही समर्पण उनकी सफलता का कारण है, इसी का नतीजा है कि साल 2010 में फिक्की ने उन्हें वीमन ऑफ द ईयर के अवॉर्ड से सम्मानित किया था।