भगवान सूर्य की उपासना का दिन है रविवार, इस मंत्र से करें पूजा और प्राप्त करें यश – कीर्ति
रविवार का दिन भगवान सूर्य की उपासना का दिन है, इस दिन व्रत रखने की सलाह शास्त्रों में दी गई है । सूर्य की पूजा करने से आप याश, कीर्ति की प्रापित करते हैं, रोजगार की समस्या भी दूर होती है ।
New Delhi, Jun 03 : रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है । सूर्य सभी ग्रहों, नक्षत्रों में सर्वोपरी हैं । ये एकमात्र ऊर्जा के स्रोत हैं । जिस भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य श्रेष्ठ हों, मजबूत स्थिति में हों तो किसी प्रकार की परेशानी नहीं आती लेकिन सूर्य यदि कमजोर हो तो मनुष्य का जीवन दुखों से भर जाता है । भगवान सूर्य की उपासना करने से कुंडली में आए दोष समाप्त होते हैं । रविवार यानी आज से ही सूर्य की उपासना शुरू करें । आगे आपको कुछ मंत्र बताए जा रहे हैं, इनका उच्चारण करेंगे तो पुण्य फल की प्राप्ति जल्दी होगी ।
भगवान सूर्य की पूजा से लाभ
भगवान सूर्य की उपासना से व्यक्ति को रोजगार से संबंधित समस्या नहीं होती । समाज में मान-सम्मान बना रहता है । करियर हो या कारोबार, हर प्रॉब्लम का निदान सूर्य की उपासना से तुरंत हो जाता है । सूर्य देव की उपासना बहुत ही आसान सी विधियों द्वारा संपन्न की जाती है । यदि आप कुछ भी कर पाने के लिए समय ना निकाल पा रहे हों तो सिर्फ सूर्य को अर्घ्य देकर ही उनकी पूजा पूरी कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं ।
सूर्य उपासना के विशेष मंत्र
सूर्य देव का दिन रविवार है । इस दिन यदि आप व्रत आदि का संकल्प कर रहे हैं तो इसे पूरा करें । पूज के समय कुछ सूर्य मंत्र आगे बताए जा रहे हैं उन मंत्रों का उच्चारण करें । सच्चे मन और श्रद्धा से सूर्य देव की उपासना करें । ये हैं मंत्र –
सूर्य वैदिक मंत्र : ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च । हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
सूर्य के लिए तांत्रोक्त मंत्र
ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम ।। ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री ।। ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम: ।। ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम: ।।
सूर्य नाम मंत्र – ऊँ घृणि सूर्याय नम:
सूर्य गायत्री मंत्र – ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात, इन सभी मंत्रों का उच्चरण करते समय ये ध्यान रखें कि आप सही उच्चारण का ध्यान रखें । शब्द इधर-उधर होने पर मंत्र का असर नहीं होता ।
अर्घ्य का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कर्म किए जा फल की चिंता मत कर । अर्थात मनुष्य को कर्म करते रहना चाहिए, उस कर्म से उसे क्या प्राप्त होने वाला है ये बाद का विषय है । बहरहाल पूजा निश्चल मन से की जानी चाहिए । भगवान से सभी लोग कुछ पाने की कामना ही करते हैं, लेकिन निष्काम भाव से की गई प्रार्थना ईश्वर जल्दी मानते हैं । भगवान सूर्य तो सिर्फ जल की कुछ धाराओं से ही प्रसन्न हो जाते हैं । रविवार को ही नहीं सूर्य देव को प्रतिदिन जल का अर्घ्य दें ।