सोशल मीडिया बना रहा है आपको बीमार, यकीन ना आए तो रिसर्च के नतीजे जान लीजिए

अपना ज्‍यादातर समय सोशल मीडिया पर बिताने वाले लोग ये खबर जरूर पढ़ें, जिस माध्‍यम को आप अपने मनोरंजन का साधन समझ रहे हैं वो आपको बीमार कर रहा है ।

New Delhi, Jun 08 : हममें से ज्‍यादातर लोग आज अपने दिन का एक बहुत बड़ा हिस्‍सा सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिताते हैं । इनमें फेसबुक, वॉट्सएप, डेटिंग एप या फिर गेमिंग वेबसाइट्स मेन हैं । लेकिन, शायद आप नहीं जानते आपके मनोरंजन का ये सस्‍ता सा साधन आपको गंभीर बीमारी दे रहा है । सोशल मीडिया और उस पर हुई एक रिसर्च के मुताबिक हमारे युवाओं पर इसका नेगेटिव इफेक्‍ट पड़ रहा है ।

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सोशल मीडिया के प्रभाव
सोशल मीडिया पर सकारात्‍मक बातों से ज्‍यादा युवाओं पर नेगेटिव बातें इफेक्‍ट डालती हैं । इन अनुभवों के बार-बार होने से युवा गहरे अवसाद में चले जाते हैं । अपनी तस्‍वीरों और अपनी पोस्‍ट को उम्‍मीद के मुताबिक रिस्‍पॉन्‍स ना मिलने से भी वो परेशान हो सकते हैं । रिसर्च के आंकड़े बताते हैं आजकल युवा पीढ़ी में बढ़ते तनाव, अवसाद का सबसे बड़ा कारण बनकर सोशल मीडिया ही सामने आ रहा है । जिस पर युवाओं के दिन का 70 फीसदी से ज्‍यादा हिस्‍सा व्‍यय हो रहा है ।

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रिसर्च के नतीजे
इस रिसर्च के नतीजे ‘डिप्रेशन एंड एंजाइटी’ नाम की विदेशी मैगजीन में पब्लिश किए गए हैं । अमेरिका के पीट्सबर्ग विश्वविद्यालय के ब्रायन प्रिमैक ने कहा, “हमने पाया है कि सोशल मीडिया के पॉजिटिव एक्‍सपीरियंस, बहुत आंशिक रूप से कम अवसाद वाले लक्षणों से जुड़े हैं । लेकिन नेगेटिव, मजबूती से या लगातार हाई डिप्रेशन के लक्षणों से जुड़े हैं ।

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इस प्रकार किया गया शोध
इस रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने 1,179 फुलटाइम स्‍टुडेंट्स के सोशल मीडिया के प्रयोग और एक्‍सपीरियंस का सर्वे किया । इन छात्रों की आयु 18 से 30 के बीच रही  । सर्वे में शामिल छात्रों से एक क्‍वेश्‍चनेयर भी भरवाया गया, जिसमें उनके कई चीजों को लेकर विचार पूछे गए । शोध में सामने आया कि पॉजिटिव कमेंट के मुकाबले ज्‍यादातर छात्र नगेटिव कमेंट्स से ज्‍यादा प्रभावित रहे । जो उनमें धीरे-धीरे अवसाद का बीज बो रहा है ।

सोशल मीडिया का नशा
पढ़ने सुनने में अजीब लगे लेकिन हमारे बच्‍चे और युवा सोशल मीडिया को नशे की तरह इस्‍तेमाल कर रहे हैं । उठते, बैठते, घर, दफ्तर, सोते-जागते हर समय वो सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हें । करीब 18 देशों में पिछले साल हुए एक सर्वे में ये सामने आया है कि ज्‍यादातर पति-पत्‍नी अब आपस में बात ही नहीं करते । करीब  33 प्रतिशत मां-बाप अपने बच्‍चों से बहुत कम बात करने लगे हैं, युवाओं के पास मां-बाप के लिए भी समय नहीं है ।

लोगों की भीड़ में भी होगा अकेलापन
सोशल मीडिया पर आपके दोस्‍तों की लिस्‍ट 500 से शुरू होती होगी और किसी की तो हजार, दस हजार पर भी नहीं थमती । लाखों लोगों की इस वर्चुअल दोस्‍ती में क्‍या आप अपने दोस्‍तों को समय दे पा रहे हैं । जरा सोचिए, आपका सामाजिक धागा कितना पतला होता जा रहा है । सोशल मीडिया आपके मनोरंजन के लिए है, इसके लिए आप निवाला ना बनें । इससे पहले कि इसे मिलने वाला अवसाद आपको निगल जाए ।