मधुमेह रोगियों के लिए चमत्‍कारी है ये फल, चकोतरा, नाम सुना है आपने इसका ?  

भारतीय वैज्ञानिकों की ओर से की गई एक रिसर्च में लेमन फैमिली के फल चकोतरा में नरिंगिन नामक तत्व की पहचान की गई है । ये तत्‍व खून में हाई ग्लूकोज लेवल या हाई ब्लड शुगर के लिए जिम्मेदार एंजाइम को कंट्रोल करने में बहुत लाभदायक साबित हो सकता है ।  

New Delhi, Jun 09 : चकोतरा फल के उपयोग से कई तरह के फूड फॉर्मूलेशन विकसित किए जा सकते हैं, जो मधुमेह रोगियों के लिए खासतौर पर लाभकारी हो सकते हैं। मैसूर स्थित केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन के दौरान खास वैज्ञानिक विधियों से चकोतरा फल के विभिन्न भागों के अर्क को अलग किया गया और फिर विभिन्न परीक्षणों के जरिये उनमें मौजूद गुणों का पता लगाया गया है।

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चकोतरा में मौजूद गुण
चकोतरा लेमन फैमिली का फल है, स्‍वाद में खट्टा है । दिखने में नींबू जैसा लेकिन अंदर से गुलाबी होता है । इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इन्फ्लेमेटरी, ट्यूमर-रोधी, मधुमेह-रोधी और मोटापा-रोधी गुण पाए जाते हैं। पुराने साहित्य में भी चकोतरा के गुणों की व्याख्या भूख बढ़ाने वाले पेट के टॉनिक, बुखार, अनिद्रा, गले के संक्रमण और हृदय के लिए उपयोगी फल के रूप में की गई है।

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खाने के बाद असर
इस स्‍टडी के आंकड़े रिसर्च मैगजीन करंट साइंस में पब्लिश किए गए हैं । डाबिटीज की फर्स्‍ट स्‍टेज में या कहें शुरुआत में ही इसे नियंत्रण करना बहुत जरूरी है, हाई ब्लड शुगर को कंट्रोल करना है तो इसके लिए भोजन के बाद के समय पर ध्‍यान देना जरूरी है । रक्त में ग्लूकोज के बढ़ते स्तर को धीमा करने के लिए इन एंजाइमों के अवरोधकों का उपयोग किया जाता है।

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नरिंगिन एंजाइम
नरिंगिन जैविक रूप से सक्रिय एक ऐसा ही एंजाइम है, जो कार्बोहाइड्रेट के जलीय अपघटन से जुड़ी गतिविधियों के अवरोधक के तौर पर काम  करता है। सीएफटीआरआई से जुड़ीं शोधकर्ता के अनुसार – नरिंगिन के अलावा, चकोतरा में पाए गए अन्य तत्व भी लाभकारी हो सकते हैं। चकोतरा का स्वाद कुछ ऐसा होता है कि इसे सीधा खाना कठिन होता है। सूखे हुए चकोतरा का पांच ग्राम पाउडर 200 ग्राम चपाती में मिलाकर करें तो यह मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी हो सकता है। बेकरी उत्पादों में भी इसके पाउडर का उपयोग किया जा सकता है।

डायबिटीज को रोकने में लाभदायक
चकोतरा के स्वास्थ्य संबंधी फायदों को देखते हुए इसके उत्पादन और इस फल से बनने खाद्य उत्पादों को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।” पारंपरिक एवं हर्बल चिकित्सा पद्धति में नींबू-वंशीय फलों की व्याख्या मधुमेह-रोधी दवाओं के स्रोत के रूप में की गई है, जिसमें चकोतरा भी शामिल है। रूटेसी पादप समूह से जुड़ा चकोतरा भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण-पूर्वी एशिया मूल का नींबू-वंशीय फल है।

बहुत लाभकारी है चकोतरा
पूरी तरह विकसित होने पर इसके फल का वजन एक से दो किलोग्राम होता है। हालांकि, संतरा, मौसमी, नारंगी और नींबू जैसे दूसरे नींबू-वंशीय फलों के वैश्विक उत्पादन के मुकाबले चकोतरा का उत्पादन सबसे कम होता है। मधुमेह की सिंथेटिक दवाओं के संभावित दुष्प्रभावों के कारणकई बार हर्बल दवाओं के उपयोग की सलाह दी जाती है।