“मोदी विरोध में सब अंधे हो गए हैं”

ये योग पतंजलि के बाद मोदी ही कर रहे, तो क्या ये संभव है कि 68 वर्ष का आदमी बेचारा अपने को स्वस्थ रखने की ये अजीबोगरीब दैनिक यौगिक क्रिया कैमरे के साथ सहज़ हो के करेगा?

New Delhi, Jun 14 : “मोदी विरोध में सब अंधे हो गए हैं”
“बेचारा 68 वर्ष का आदमी सेहतमंद रहना चाहता है, क्या दिक्कत आपको”
“बेचारा कुछ भी करे,सबको दिक्कत है”
इस तरह की भोंथरी और ऐसे अश्लील तर्क दे कर क्यों खुद को इतिहास की सबसे निर्लज़्ज पीढ़ी साबित कर रहे हैं। आप भाजपा समर्थक होईये, चाहे कोई कांग्रेस,वाम..ये चलेगा। लेकिन खुद की आत्मा और अक्ल दोनों गिरवी मत रखिये।
आप वो फिटनाशी वीडियो देखिये। चुपचाप स्थिर से अकेले में देखिये। और एकांत में मन ही मन दिल पे हाथ रख कहिये कि क्या वो “योगा” है? क्या आपने सामान्यतः ऐसे अजीब अजीब भाव भंगिमा बना इस तरह से बालू,पानी, हवा,पत्थर का योग देखा है?

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और मान लीजिए कि ये योग पतंजलि के बाद मोदी ही कर रहे, तो क्या ये संभव है कि 68 वर्ष का आदमी बेचारा अपने को स्वस्थ रखने की ये अजीबोगरीब दैनिक यौगिक क्रिया कैमरे के साथ सहज़ हो के करेगा?
मंडप पे बैठा दूल्हा जो यादगार एक दिन के लिए पैसा दे के वीडियो कैमरा वाला को हर पल को कैद करने हेतु नियुक्त करता है वो दूल्हा भी मंडप पर असहज हो जाता है बार बार कैमरा सामने देख। और ये कैसा अभिनेता मिला है देश को जो कैमरा लगा के योग करता है।
आप सिर्फ तस्वीर मत देखिये न, केवल वीडियो मत देखिये, इसके बनने की प्रक्रिया भी तो सोचिये।
वीडियो में दिख रहा है कि कई एंगल से शूट हुआ है। यार कोई दैनिक योगी कैसे सामने और बगल कैमरा लगा अपनी नित्य योग क्रिया को इतना सहज़ हो करेगा?
पूरा वीडियो फूहड़ लग रहा। कैसे कैसे कर रहा है आदमी उसमें, शांति से देखिये भी तो।

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और फिर बात फिर इनके वीडियो की भी नही सिर्फ, उसके बाद मीडिया का इसे मोदी की काबिलिती, विशेषता,अद्भुत क्षमता, देश की उपलब्धि बताना कितनी बेशर्मी , बे हयायी, छेछड़पना है, ये भी तो देखिये।
देश दुनिया के किस हिस्से के कौन से परिवेश में,किसी भी उम्र के लोगों में सुबह थोड़ा दौड़ना, टहलना, योग कसरत करना नही है? ये कौन सा बेहद प्रेरक कार्य है जो अब तक नही हो रहा था और अब वीडियो द्वारा प्रेरित करने पे होने लगा? देश में स्वास्थ्य क्रांत्ति आएगी अब? अगर आप सदियों से अपने बाप दादा के कह कह के थक जाने पे भी अभी तक योग और कसरत का महत्व नही समझ पाये हैं तो अफ़सोस है उन पूर्वजों के लिए कि उनका सपूत अब मोदी जी की वीडियो से कसरत का महत्व जानेगा।

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इसलिए, मोदी जी की हर नौटँकी को डिफेंड कर देश के असली मुद्दे को ढकने का पाप मत करिए। ये आप ही थे न जो कुछ महीने पहले सेना के लिए fb पे लड़ते शहीद हो रहे थे। तो कल जब सीमा पे जवान शहीद हो रहे थे, आपसे कसरत कैसे किया जा रहा था? सोचे इस पर? जब सीमा पर दुश्मन हमे मार ही दे रहा तो कसरत क्या मसाला पापड़ तोड़ने के लिए कर रहा है देश?
क्या शहीदों के लिए छाती पीटने और रोने का कोई विशेष मौसम होता है क्या? ये अभी आम खाने और योग करने का मौसम है?
कहाँ है अभी आपकी संवेदनशीलता और देशभक्ति? चुनाव के समय देशभक्ति वाला हार्मोन सक्रिय करियेगा?
ये सब कितना फूहड़ है कि कल ही के दिन आप एक 68 साल के बेचारे के लिए सेहत की जयकारी में लगे थे और ठीक उसी समय एक 71 साल का बेचारा देश मर रहा था।
जिस असम के गमझे से योगी पसीना पोछ रहा था उसी असम में चार दिन पहले दो युवाओं को भीड़ ने पीट के मार डाला। असम की गमझी अपना लहू पोछ रही थी, देश का मालिक हेंडीक्राफ्ट निर्मित गमझा दिखा नाटक करता है, उस राज्य के हालात,उन कत्ल हुए युवा के लिए नही बोलता है।
आपको ये सब नॉर्मल लग रहा?
आपको मदारिगिरी नही दिखती?
आपका हमारा pm एक सेलिब्रेटी का फिटनेस चैलेंज स्वीकार करके देश को प्रेरित कर रहा न, तो ठीक है , मैं देश का एक साधारण युवा अपने pm को बेरोजगारी और भुखमरी, महंगाई पे चैलेंज करता हूँ। वे इसे स्वीकार करें और एक सप्ताह की जगह 6 महीने ले के ये सब दूर करके वीडियो जारी करें। करेंगे? जय हो।

(नीलोत्पल मृणाल के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)