BSEB बिहार के छात्रों को अपराधी बनने पर मजबूर कर रही है

पिछली बदनामी, जिसमे अध्यक्ष को जेल जाना पड़ा था, को देखते हुए बिहार सरकार ने बड़ी उम्मीद से अपने काबिल समझे जानेवाले IAS अफसर को इसका अध्यक्ष बनाया, लेकिन वे भी फेल हो गए।

New Delhi, Jun 15 : बिहार प्रतिभाओं की कब्रगाह बनता जा रहा है। BSEB द्वारा जारी इंटर का रिजल्ट इस बात की तसदीक करता है। पिछले कई सालों से यह संस्था अजब-गजब कारनामें करने के लिए ख्यात रही है। यह वैसे छात्रों को टॉपर बना देती है, जो अपने विषय का सही उच्चारण भी नहीं कर पाते। वहीं प्रतिभाशाली छात्रों को फेल कर दिया जाता है। पटना हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद फेल छात्र टॉप हो जाता है। कुछ कापियों में पूर्णांक से भी अधिक नंबर दे दिए जाते हैं। परीक्षा में उपस्थित छात्रों को अनुपस्थित कर फेल कर दिया जाता है। यानी प्रतिभा को कुचलने के जितने भी तरीके हो सकते हैं, BSEB वह सब आजमाता है। इसमें उसे कोई झिझक या शर्म महसूस नहीं होता।

Advertisement

यह बोर्ड मैट्रिक और इंटर की परीक्षा कराता है। इसी परीक्षा से छात्रों के भविष्य का रास्ता खुलता है। यहां से उनके आगे बढ़ने और अपने भविष्य को संवारने की शुरुआत होती है। BSEB की भूमिका इसमें सहायक बनने की थी। लेकिन छात्रों को अपना भविष्य गढ़ने में मदद करने के बजाये यह उनका गला घोंटने का काम कर रहा है।
यह आम धारणा नहीं बल्कि सत्य प्रमाणित तथ्य है कि पैसे और पैरवी से यहां सब कुछ सम्भव है।
पिछली बदनामी, जिसमे अध्यक्ष को जेल जाना पड़ा था, को देखते हुए बिहार सरकार ने बड़ी उम्मीद से अपने काबिल समझे जानेवाले IAS अफसर को इसका अध्यक्ष बनाया, लेकिन वे भी फेल हो गए। बोर्ड की आपराधिक लापरवाही से अकारण फेल किये गए छात्रों ने बोर्ड दफ्तर का गेट 7 जून को ढाह दिया। मैं इसका समर्थन नहीं कर रहा, पर उनके सामने दूसरा कोई चारा नहीं था। आप जिसके सपनों की हत्या कर रहे हैं, वह अगर गेट ढाह कर ही शांत हो जाता है तो उसकी भलमनसाहत की तारीफ होनी चाहिए। और बोर्ड के अधिकारियों को धिक्कारा जाना चाहिए। 

Advertisement

पता नही यह सरकार कैसा बिहार गढ़ना चाहती है ? छात्रों की प्रतिभा के कब्र पर चमकते और दमकते बिहार का भवन तो खड़ा नहीं हो सकता।
सिर्फ मैट्रिक और इंटर शिक्षा का ही यह हाल नही है। विश्वविद्यालयों की भी यही स्थिति है। वहां की बेकाबू स्थिति को नियंत्रित करने के लिए चांसलर ने सेना के रिटायर कर्नलों को विवि का रजिस्टार नियुक्त किया है। 12 विवि में कर्नल रजिस्टार बनाये गए हैं।इससे स्थिति की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस पटना विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे थे, उस विवि का हाल यह है कि छात्रसंघ का एक चुनाव तक वह ठीक से नही करा पा रहा है। सभी जगह सेशन लेट हैं। परीक्षा और रिजल्ट का कोई तय समय नहीं है।

Advertisement

सरकार राजनीति में व्यस्त है। क्या किया जाए, उधर से समय ही नहीं बचता की स्कूलों, कॉलेजों, छात्रों की खोज खबर ली जाये ! क्या होगा, बिहार से न सही दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, पुणे, भोपाल, जयपुर से पढ़कर वो डिग्री पा ही लेगा। नाम तो बिहार का ही होगा न? शायद बिहार सरकार की यही सोच है। पता नही क्यों बार बार मेरे दिमाग मे यह कौंधता रहता है कि बिहार के नेता और अधिकारी (कुछेक को छोडक) जैसे ठस दिमाग के हैं, बिहार के छात्रों को भी वे वैसा ही बनना चाहते हैं ?
हालात ही ऐसे हैं कि मन यह सोचने को विवश हो जाता है। इसकी वजह यह है कि शायद ही किसी नेता या अधिकारी के बच्चे बिहार में पढ़ते हैं। जो थोड़े भी बोझ वहन करने लायक हैं, उनके बच्चे बाहर पढ़ रहे हैं।
रही बात सरकार की तो जो सरकार एक परीक्षा तक सही तरीके से नहीं करा सके, उसके बारे में और कुछ कहने की जरूरत है क्या ?

(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)