हमारे पास ईवीएम है ! जिन्होंने इसे ईजाद किया, वो छोड़ चुके पर हमने थाम रखा है !

हमारे पास ईवीएम है! जिन्होंने इसे ईजाद किया, वो छोड़ चुके पर हमने थाम रखा है! हमारे पास ‘योगा’ है! हमारे पास पुराण, उपनिषद, ब्राह्मण और मनुस्मृति हैं!

New Delhi, Jun 18 : यूरोप का एक देश है आइसलैंड! आबादी है 3 लाख 37 हजार! यह देश फुटबॉल विश्वकप(FIFA) में विश्व चैंपियन रह चुके अर्जेंटीना से टक्कर ले रहा है। और ‘135 करोड़ प्यारे देशवासियों’ का हमारा महान् भारत FIFA विश्व कप की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए ‘क्वालीफाई’ तक नहीं कर पाता!

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स्वास्थ्य-शिक्षा आदि यानी ‘मानव विकास सूचकांक’ के मामले में हम दुनिया के 180 देशों में फिलहाल 131 वें नंबर पर हैं! होंडुरास से भी नीचे! पर मत भूलिए हमारा अतीत महान् रहा है! प्राचीन काल में ‘सोने की चिड़िया’ रहा है देश! मध्यकाल में हमारे यहां महान् महाराणा प्रताप हुए थे! शहंशाह अकबर को अपने पराक्रम से लगातार पछाड़ा!! उन्होंने अपने महा-पराक्रमी सैनिकों के लिए घास की रोटी बनवाने की पाक-कला का विकास किया!

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दुनिया को बहुत सारी विद्याएं हमने सिखाईं! दुनिया को पत्रकारिता भी हमने सिखाई! आदिकाल में नारद मुनि ब्रह्मांड के पहले पत्रकार थे और महाभारत काल के संजय पहले रिपोर्टर! तभी तो हमारे ज्यादातर चैनलों के रिपोर्टर और एंकर स्टूडियो में बैठे बैठे बग़दादी और किम जांग उन की एक-एक खासियत बता देते हैं! सीता की रसोई दिखा देते हैं और अपनी मौत स्वयं तय करने वाले कुंजी लाल जी से मुलाकात करा देते हैं!
यह तो आप जानते ही हैं कि हमारे यहां रामायणकाल में विमान (पुष्पक) थे, महाभारत काल में ‘इंटरनेट’ जैसी कोई चीज! ‘प्लास्टिक सर्जरी’ तो हमारे आपरेशन थियेटर के बगैर खुले मैदान में हो जाती थी! देख लीजिए ‘गणेश जी’ को!

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इसलिए फुटबॉल की बात मत कीजिए! देखिए, क्रिकेट में हम अव्वल हैं, मैच फिक्सिंग में भी कुछ कम नहीं!
छोटी-छोटी बातों में क्या रखा है! हम तो ‘विश्वगुरु’ रहे हैं गुरु! वैज्ञानिक आविष्कारों की बात भी मत कीजिए! यह सब हम लोग प्राचीन काल में ही कर चुके हैं! गरीबी, बीमारी, जाति-आधारित उत्पीड़न, सांप्रदायिक कट्टरता, माब-लिंचिंग, बलात्कार और भुखमरी की बात भी मत करिए! हमारे पास सिर्फ यही नहीं है। हमारे पास ईवीएम है! जिन्होंने इसे ईजाद किया, वो छोड़ चुके पर हमने थाम रखा है!
हमारे पास ‘योगा’ है! हमारे पास पुराण, उपनिषद, ब्राह्मण और मनुस्मृति हैं! ज्ञान के भंडार! सुख में-दुख में, सबमें आध्यात्मिकता है! हम ‘विश्व-गुरु’ जो हैं!

(वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)