सफेद दाग या विटिलिगो से बचने के आयुर्वेदिक उपाय, घर पर ही आजमा सकते हें

सफेद दाग, यानी विटिलाइगो को लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम हैं । इसका इलाज दवाओं से संभव हे साथ ही आप कुछ आयुर्वेदिक उपचार भी प्रयोग में ला सकते हैं ।

New Delhi, Jun 20 : आम तौर पर सफेद दाग को हमारे समाज में स्‍वीकार नहीं जाता है । इसे लाइलाज समझा जाता है । कुछ समय पहले तक तो इसे छुआछूत की बीमारी समझा जाता था । लेकिन डॉक्‍टरों के मुताबिक यह महज एक कॉस्मेटिक प्रॉब्लम है, जिसका इलाज काफी हद तक संभव है । इस प्रॉब्‍लम में स्किन का कलर बदलने लगता है । कुछ उपायों के जरिए आप इसे घर पर भी ठीक कर सकते हैं ।

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कारण
सफेद दाग, विटिलिगो का कारण पता लगाना मुश्किल है क्‍योंकि ये एक ऑटोइम्यून बीमारी मानी जाती है । यानी ऐसा रोग जब आपके शरीर का इम्‍यून सिस्‍टम काम करना बंद कर दे तब आपको ये रोग सता सकता है । विटिलिगो के रोग में त्वचा में मेलेनोसाइट्स खत्‍म होने लगते हैं, ये हमारी त्‍वचा के असली कलर के लिए जिम्‍मेदार होते हैं । इसी की वजह से स्किन सफेद होने लगती है ।

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विटिलिगो के लक्षण
शरीर पर जगह-जगह सफेद पैच का उभरना विटिलिगो का मुख्य लक्षण है । ये उन हिस्‍सों पर सबसे ज्‍यादा दिखता है जहां सूरज की किरणें पड़ती हैं । हाथ, पैर, चेहरा और होंठ इसके सबसे ज्‍यादा प्रभाव में आते हैं । इसके अलावा ये  बगल के आसपास,  मुंह के आसपास, आंखों , नथुने,  नाभि,  गुप्तांग,  गुदा क्षेत्र के आसपास भी अपना प्रभाव दिखाता है ।

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ये भी है लक्षण
सिर के बालों पर भी विटिलिगो का असर देखा जा सकता है । अचानक से बालों का भूरा हो जाना, सुनहरा दिखने लगना सफेद दाग के लक्षण हैं । मुंह के अंदर रंग की कमी भी इसके लक्षण हैं । इस परेशानी के उभरने की वजहें क्‍या हैं, ये सटीक तौर पर तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना जरूर है कि कुछ बातें है जो इसके होने के कारणों पर रोशनी डाल सकती हैं ।

ये हो सकती हैं वजहें
परिवार में अगर माता-पिता इस परेशानी से पीडि़त रहे हैं तो बच्‍चों को इसके होने की आशंका सबसे ज्‍यादा है । इसके अलावा बच्‍चे का कोई बर्थ मार्क या मस्‍सा भी आगे चलकर इस समस्‍या का कारण बन सकता है । कैमिकल ल्यूकोडर्मा भी एक अवस्‍था है जो खराब क्वॉलिटी की चिपकाने वाली बिंदी या फिश्र खराब प्लास्टिक की चप्पल का इस्‍तेमाल करने से हो सकती है । केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है ।

आयुवेर्दिक उपाय
आयुर्वेद में इससे बचने के कुछ उपाय बताए गए हैं । जिसमें एक है तांबे के बर्तन में पानी पीना । तांबा तत्व, त्वचा में मेलेनिन निर्माण में सहायक है । तांबे के बर्तन में रातभर पानी भरकर रखें और सुबह – सुबह खाली पेट पिएं । यह बरसों पुराना नुस्‍खा है जो त्‍वचा की रंगत को बनाए रखने में कारगर है । ये पानी पेट की बीमारियों पर भी असरदार है ।

नारियल तेल
त्‍वचा पर नारियल तेल लगाने से यह स्किन को दोबारा रिपेयर करने में सहायता करता है । इस तेल में जीवाणुरोधी और संक्रमण विरोधी गुण भी पाए जाते हैं । दिन में 2 से 3 बार नारियल के तेल से प्रभावित क्षेत्र की मसाज करने से लाभ मिलता है ।
बथुए की पत्‍ती – इस हरे साग का इस्तेमाल भी सफेद दाग के उपचार के तौर पर किया जा सकता है ।  इसकी पत्तियों का रस लगाने से त्‍वचा की रंगत पर असर पड़ता है ।

नीम और हल्‍दी भी फायदेमंद
1 कप सरसों के तेल में 5 बड़े चम्मच हल्दी पाउडर डालकर मिलाएं और इस लेप को दिन में दो बार प्रभावित त्वचा पर लगाएं । 1 साल तक इस प्रयोग को लगातार करें ।
नीम – नीम त्‍वचा के लिए बेस्‍ट एंटीबायटिक माना जाता है । नीम के पत्त‍ियों को छाछ के साथ पीसकर इसका पेस्‍ट बनाएं और त्‍वचा पर लगाएं । जब यह पूरी तरह सूख जाए तो इसे धो लें । आप नीम के तेल का प्रयोग भी कर सकते हैं । नीम के जूस का सेवन भी लाभदायक है ।