सचमुच, बहुत नफ़रत भरा दिमाग है, इस निज़ाम का !

केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की तमाम मशीनरी लगी रही पर एक भी प्रमाण नहीं जुटा सकी कि Jnu के किसी भी छात्र नेता ने 2016 के उक्त विवादास्पद कार्यक्रम में देशविरोधी नारे लगाए थे!

New Delhi, Jul 06 : यह सोच पाना मेरे लिए मुश्किल है कि देश के सर्वोत्तम कहे जाने वाले विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर के नेतृत्व में उसका प्रशासन इतना निष्ठुर, निरंकुश और खुराफ़ाती कैसे हो सकता है! उसे न तो लोक-मर्यादा का ख्याल है और न ही न्याय प्रक्रिया का सम्मान है! उसके सोच और सरोकार में कहीं भी लेशमात्र उदारता और उदात्तता नही है!

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दो वर्ष बीत गये। माननीय न्यायालय ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(JNU) के तीन प्रमुख छात्र नेताओं सहित अन्य छात्रों पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लगाये आरोपों को आज तक सही नहीं ठहराया। गिरफ्तार किए गये छात्रों को न्यायालय ने बाकायदा जमानत दी।

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पुलिस और न्यायालय, किसी ने भी उन्हें आज तक कसूरवार नहीं ठहराया! केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की तमाम मशीनरी लगी रही पर एक भी प्रमाण नहीं जुटा सकी कि Jnu के किसी भी छात्र नेता ने 2016 के उक्त विवादास्पद कार्यक्रम में देशविरोधी नारे लगाए थे! फिर जिन लोगों ने ‘चैनल में खबर उछालने के लिए’ वहां उत्तेजक नारे लगाए थे और जिनके चेहरे गमछों से ढंके थे, वो कौन थे? जवाब आज तक नहीं मिला!

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पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने सन् 2016 के पुराने मामले में किसी ठोस जांच रिपोर्ट के बगैर कल कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया! कई अन्य छात्रों को भी दंडित किया गया है। इनमें कुछ छात्र पीएच.डी. के अपने शोध प्रबंध जमा कर चुके हैं तो कुछ करने वाले थे! क्या इन युवाओं के शैक्षणिक जीवन को बर्बाद करने के लिए यह सब आनन-फानन में किया गया? सचमुच, बहुत नफ़रत भरा दिमाग है, इस निज़ाम का!

(वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)