‘एंकरनिया चरित्तर दिखा रही है, एक गाड़ी में तोड़फोड़ की तो आतंकी हो गए?’

इन एंकरनियो की औकात तो राजनैतिक दलों के प्रवक्ता रोज बताते रहते हैं । जब इनकी एक नही सुनकर अपनी ही रौ में चिल्लाने और झगड़ने लगते हैं ।

New Delhi, Aug 11 : एनसीआर में कुछ कांवरियों द्वारा एक गाड़ी में तोड़फोड़ का वीडियो मुझे सुबह ही मिल गया था ।मैंने न उसे फारवर्ड किया न टिप्पणी की ।यह कोई बड़ी बात नही थी क्योंकि सड़क दुर्घटना के बाद अक्सर गाड़ियों में तोड़फोड़ होती है।लेकिन न्यूज़ चैनल खोलते ही चौंक गया ।कुछ अधेड़ उम्र की एंकरनियाँ चेहरे पर काजर पोडर पोते हुए , अपने बाल लहराते हुए , चीखते हुए ,बोलते बोलते लगभग उछल जाते हुए ( उछलने से बाल और लहराता है इस सौंदर्य बोध को जानने के कारण) , खुद की औकात एक किशोरी समान मानकर स्क्रीन पर ऐसे बर्ताव कर रही थी जैसे उनलोगों ने दौड़ाकर किसी आतंकी को पकड़ लिया हो और जनता को सौंप रही हो कि इनके साथ कैसा सलूक किया जाए ।

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इन एंकरनियो की औकात तो राजनैतिक दलों के प्रवक्ता रोज बताते रहते हैं । जब इनकी एक नही सुनकर अपनी ही रौ में चिल्लाने और झगड़ने लगते हैं ।इन एंकरनियो की औकात नही कि उन्हें चुप करा सके लेकिन लगभग इग्यारह कावरियों को आतंकवादी घोषित करने के लिए इन ताड़काओ ने स्क्रीन पर ऐसे स्वांग किये मानो अंधे के हाथ बटेर लग गया हो —- देखिये ,ये है गेरुआ पहनने का आतंक ,….. इनके लिए ही DIG फूल बरसा रहे है ….. अब सैंया ( इशारा योगी जी की ओर था ) भये कोतवाल तो डर काहे का ….. तिरंगा और भगवा झंडा लेकर चलने वालों को किसने मारपीट करने का लाइसेंस दिया ….. वगैरह वगैरह ।

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&&###$ भूतनी के …! अपना चरित्तर दिखाने लगी है। एक गाड़ी में तोड़फोड़ की तो आतंकी हो गए? अरे देश को खंडित कर रहे हैं उनपर बोल के दिखाओ मुह बवासीरो। लाखो कावरियों के लिए पुष्पवर्षा की गई तो छाती फट रही है। जायरीनों के लिए पलक पांवड़े बिछा देने पर काहे सवाल नही खड़ी करते? हमने भी देखा है वीडियो । थोड़ा बहुत जो भी हुआ गलत हुआ लेकिन आप देखिए अगल बगल में सैकड़ो गाड़ियां खड़ी थी ,किसी को उन्होंने हाथ नही लगाया । किसी की जान नही ली ।राष्ट्रीय प्रतीकों को नुकसान नही पहुचाया । शहीद की प्रतिमा नही तोड़ी। भगवान शिव की प्रतिमा पर मूत्र विसर्जन नही किया । मा दुर्गा की प्रतिमा पर मांस के लोथड़े नही फेंके । किसी टोपी वाले को नही पीटा। कोई दुकान में शीशे नही तोड़े। तिरंगा नही फाड़ा। पाकिस्तान मुर्दाबाद भी नही कहा । ….. लेकिन ये ###&&& जैसी एंकरनियो को इस बात का मलाल था कि कांवरियों ने अपनी बाइक पर तिरंगा क्यो फहरा रखा था? वाह री पुतनाओ !

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अगर धार्मिक अनुष्ठान करने के दौरान भी राष्ट्रीय भावनाएं जाहिर करें तो इसपर भी ऐतराज। शिखंडिनियो ! ठीक उसी समय रांची में हजयात्रियों और उनके संबंधी हज हाउस के पास जाम लगा दिए थे और एक मारुति 800 वाले को मारपीट कर रहे थे क्योंकि उसने जायरीनों से पहले रास्ता पार करने की कोशिश की थी। यह सब मान्य है ,बर्दाश्त है ,स्वीकार है क्योंकि उनके खिलाफ बोलकर देखो तो वे नारी गरिमा को तार तार करने में नही हिचकेंगे। आसीन विराथु म्यांमार में रोहिंग्यो को खदेड़ते है तो ये लोग मुम्बई रांची में तोड़फोड़ करते हैं।उस समय पत्रकारिता की जवानी तेल लेने चली जाती है ? मंथराओ , जवानी के दिन लद रहे हैं । अब ईश्वर की शरण मे जाने का समय आ रहा है , शिवभक्तों से ऐसे मत बरतिए। शिवभक्त भी शिव की तरह बर्ताव करने लगेंगे तो फेरे में पड़ जाइयेगा। शिव के भक्त मस्तमौला , तुरत खुश हो जाने वाले आशुतोष , भांग धतूरे के शौकीन होते हैं लेकिन नाराज हो गए तो उनका तांडव और त्रिनेत्र दर्शन करने की हिम्मत किसी को नही होती ।

हे कुलकलंकिनियो , कभी हिम्मत दिखाना शांतिदूतों की हरकतों पर भी ऐसे ही एकांगी एंकरिंग करके । कांवरियों की संख्या करोड़ो में होती है। अगर केवल कांवर से ही वे आतंक मचाना चाहे तो आपलोगो को छिपने की जगह नही मिलेगी। लेकिन वे अपने देव और अपने देश को जानते हैं उनसे विश्वासघात नही करेंगे। लेकिन जो अपने देश को अपना नही जानते , उनके लिए केवल धर्म ही सबकुछ है। कभी उनपर भी चिल्ला कर देखो खूसटनियो ।
‌जिस समय आपलोगो को चिल्लाते देख रहा था तो मन कर रहा था हदकल लुआठी मुह में घुसेड़ दे। लेकिन अपनी भी इज्जत है, अपना भी स्टैंडर्ड है ज्यादा नही बोलूंगा नही तो कहिएगा ऐसी भाषा की उम्मीद आपसे नही थी।

(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)