विजय माल्या को भारी पड़ी छोटी सी गलती, 10 साल में डूब गया अरबों का एम्पायर

2007 में किये गये इस सौदे से विजय माल्या को तत्काल को फायदा मिला था, 2011 में किंगफिशर देश की दूसरी सबसे बड़ी एविएशन कंपनी बन गई थी।

New Delhi, Dec 06 : भारतीय बैंकों से कर्ज लेकर फरार चल रहे विजय माल्या अब कर्ज चुकता करने को तैयार हैं, बुधवार सुबह उन्होने ट्वीट कर कहा कि वो भारतीय बैकों के सारे कर्ज चुकाने के लिये तैयार हैं, लेकिन ब्याज नहीं दे सकते, माल्या ने एक के बाद एक तीन ट्वीट्स किये, उन्होने 100 फीसदी मूलधन वापस करने का प्रस्ताव दिया, साथ ही उन्होने कहा कि उऩके साथ भारयी मीडिया और राजनेता पक्षपात कर रहे हैं, मालूम हो कि माल्या पर करीब 9 हजार करोड़ रुपये का बैंक कर्ज है, कभी देश के चर्चित कारोबारियों में शामिल रहे माल्या के बर्बादी की कहानी पूरी तरह से फिल्मी है, एक दौर में फिल्मी घराने से लेकर कॉरपोरेट लॉबी तक उनका सिक्का चला था, आइये आपको बताते हैं कि कैसे किंग ऑफ गुड टाइम का बुरा दौर शुरु हुआ।

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2007 में की थी बड़ी गलती
साल 2005 में विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस की शुरुआत की थी, लांच होते ही उनकी एयरलाइंस कंपनी बड़ा ब्रांड बन गया था, 2007 में उन्होने देश की पहली लो कॉस्ट एविएशन कंपनी एयर डेक्कन को टेकओवर किया, जिसके लिये उन्होने 30 करोड़ डॉलर यानी 1200 करोड़ रुपये (तब 1 डॉलर 40 रुपये के बराबर थी) की भारी रकम खर्च की थी, 2007 में किया गया ये सौदा विजय माल्या के लिये सबसे बड़ी गलती साबित हुई, इस सौदे के 5 साल के भीतर ही किंगफिशर एयरलाइंस बंद हो गई।

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दूसरी सबसे बड़ी एविएशन कंपनी
2007 में किये गये इस सौदे से विजय माल्या को तत्काल को फायदा मिला था, 2011 में किंगफिशर देश की दूसरी सबसे बड़ी एविएशन कंपनी बन गई थी, लेकिन एयर डेक्कन को खरीदने के पीछे जो उनका लक्ष्य था, उसे हासिल नहीं कर पाई, साथ ही बढती फ्यूल कॉस्ट ने लागत बढा दी, जिससे कंपनी का घाटा बढने लगा। विजय माल्या ने एक और गलत फैसला लिया, उन्होने एयर डेक्कन के साथ गोद लिये बेटे की तरह व्यवहार किया, उन्हें उम्मीद थी कि कंपनी के विलय के बाद एयर डेक्कन के ग्राहक किंगफिशर की ओर रुख करेंगे, लेकिन उल्टा होने लगा, एयर डेक्कन के ग्राहक दूसरी लो कॉस्ट एयरलाइंस की ओर रुख करने लगे, अक्टूबर 2012 में किंगफिशर एयरलाइंस बंद हो गई, जिसका असर उनके कारोबारी साम्राज्य पर पड़ा।

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क्यों हुई माल्या की ये हालत
आपको बता दें कि शराब का व्यवसाय विजय माल्या को पिता विठ्ठल माल्या से विरासत में मिली थी, उन्होने देश के चुनिंदा मैनेजमेंट संस्थाने से लोगों को चुना और शराब कारोबार को कॉरपोरेट का रुप दिया, झटके में नई कंपनियां खरीदने की आदत और कई बार बिना जांचे-परखे फैसला लेने की वजह से ही माल्या की आज ऐसी हालत हो गई है। माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस इस मकसद से शुरु किया था, कि उन्हें शराब कारोबारी नहीं बल्कि उद्योगपति समझा जाए, यही वजह है कि वो अपनी कंपनी के यात्रियों को वो सुविधाएं देना चाहते थे, जो दूसरी कोई कंपनी सोचती भी नहीं थी।

मुनाफे पर असर
यात्रियों के लिये महंगी विदेशी पत्र-पत्रिकाएं उन्होने उपलब्ध कराया, लेकिन वो कभी गोदाम से बाहर निकल ही नहीं पाई, एयरलाइंस कंपनी के मुनाफे पर इन बातों का असर पड़ना ही था, यही वजह है कि अपने घाटे को पूरा करने के लिये वो समय-समय पर अलग-अलग बैंकों से कर्ज लेते रहे, धीरे-धीरे बोझ इतना बढ गया, कि उस कर्ज को चुकाने के लिये उन्होने नया कर्ज लिया, फिर आखिर में देश छोड़कर भागना पड़ा।