एक 52 दिन, तो दूसरी 8 महीने के लिये रहीं सीएम, कुछ ऐसा रहा सुषमा स्वराज और उमा भारती का राजनीतिक सफर

सुषमा स्वराज की शादी 13 जुलाई 1975 को सुप्रीम कोर्ट के वकील स्वराज कौशल से हुई थी, उनकी एक बेटी हैं, जिनका नाम बांसुरी है।

New Delhi, Dec 10 : बीजेपी नेता और मोदी सरकार में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हाल ही में कहा कि वो 2019 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी, दूसरी ओर पेयजल और स्वच्छता मंत्री उमा भारती भी आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी, हालांकि दोनों का ये कहना है कि वो राजनीति से सन्यास नहीं ले रही है, सिर्फ चुनाव नहीं लड़ेगी, आइये सुषमा स्वराज और उमा भारती के राजनीतिक सफर के बारे में आपको कुछ बताते हैं।

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सुषमा स्वराज
14 फरवरी 1952 को पैदा हुई सुषमा स्वराज मूल रुप से हरियाणा के अंबाला की है, उन्होने अंबाला कैंट के एसडी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली थी, इसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल की, वो भाषण और वाद-विवाद में हमेशा से आगे रही, इसके लिये उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया। साल 1977 में उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई, 1977 में वो चुनाव लड़ी और चौधरी देवी लाल कैबिनेट में जगह पा ली, इसके बाद वो केन्द्र में वाजपेयी सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रही, 1999 लोकसभा चुनाव में उन्होने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ वेल्लारी से चुनाव लड़ा था, सुषमा स्वराज दिल्ली के पहली महिला सीएम भी रह चुकी हैं, फिलहाल मोदी सरकार में विदेश मंत्रालय संभाल रही हैं, सुषमा स्वराज की पहचान एक प्रखर वक्ता के रुप में भी है, वो शुरुआत से ही संघ और बीजेपी से जुड़ी रही हैं।

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सुप्रीम कोर्ट के वकील से शादी
सुषमा स्वराज की शादी 13 जुलाई 1975 को सुप्रीम कोर्ट के वकील स्वराज कौशल से हुई थी, उनकी एक बेटी हैं, जिनका नाम बांसुरी है, इस समय उनकी बेटी लंदन के इनर टेंपल में वकालत कर रही हैं। साल 2008 और 2010 में सुषमा स्वराज को सर्वश्रेष्ठ संसदीय पुरस्कार मिला था, ये पुरस्कार हासिल करने वाली वो एक मात्र महिला सांसद हैं, साल 1977 में सिर्फ 25 साल की उम्र में वो कैबिनेट मिनिस्टर बनी थी, उस समय सबसे कम उम्र की वो मंत्री थी।

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उमा भारती
3 मई 1959 को एमपी के टीकमगढ में पैदा हुई उमा भारती सिर्फ 6ठीं क्लास तक पढी हैं, उन्होने बचपन से ही हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन शुरु कर दिया था, इन्हीं विचारों को उन्होने अपने असल जीवन में भी संग्रहित किया, अब तक वो तीन किताबें लिख चुकी हैं। राम जन्मभूमि आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाली उमा भारती के राजनीतिक जीवन की शुरुआत ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सानिध्य में शुरु हुई, साल 2003 में वो एमपी विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश की सीएम बनीं, लेकिन पद संभालने के महज 9 महीने बाद ही उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा, फिर पार्टी से नाराज होकर बीजेपी छोड़ दी, इसके बाद भारतीय जनशक्ति नाम की अलग पार्टी बना ली।

बीजेपी में वापसी
बीजेपी से अलग होने के मात्र 6 साल बाद दुबारा साल 2011 में उमा भारती बीजेपी में लौटी, आपको बता दें कि उमा ने साल 1984 में चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गई थी, फिर 1989 में खजुराहो से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंची, 2014 में झांसी लोकसभा सीट से चुनाव जीती थी, जिसके बाद मोदी मंत्रिमंडल में उन्हें अहम स्थान दिया गया था। टीकमगढ के डुंडा नाम स्थान पर पैदा हुई उमा भारती के पिता गुलाब सिंह और माता का नाम बेटीबाई है, वो 4 भाई और 2 बहनों में सबसे छोटी है, उमा भारती अविवाहित हैं और उन्होने अपना जीवन धर्म के प्रचार प्रसार में लगाने का व्रत लिया हुआ है।