जाते-जाते एक घोषणा कर कांग्रेस को फंसा गये शिवराज सिंह चौहान, 2019 के लिये है ‘खतरे की घंटी’

चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले 5 अक्टूबर को तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि किसानों को सोयाबीन और मक्के की फसल पर प्रति क्विंतल 500 रुपये का बोनस दिया जाएगा।

New Delhi, Dec 13 : एमपी की नई कांग्रेस सरकार पर एक फैसला भारी पड़ने वाला है, नई सरकार को फैसला निवर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान की एक घोषणा पर लेना है, आपको बता दें कि ये घोषणा 2200 करोड़ रुपये की पड़ने वाली है, अगर नई सरकार ने इतनी रकम खर्च कर दी, तो प्रदेश की माली हालत खस्ता हो जाएगी, जिससे दूसरे विकास कार्य प्रभावित होंगे, अगर नई सरकार ने ये कहकर घोषणा को खारिज कर दिया कि पूर्व सीएम ने ये वादा किया था, तो भारी संख्या में किसान नाराज हो जाएंगे, यानी दोनों स्थिति में मतदाताओं की नाराजगी कांग्रेस को झेलनी पड़ सकती है, 4 महीने बाद लोकसभा का चुनाव है, ऐसे में कांग्रेस के लिये स्थिति ठीक नहीं है।

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सीएम ने की थी घोषणा
आपको बता दें कि चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले 5 अक्टूबर को तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि किसानों को सोयाबीन और मक्के की फसल पर प्रति क्विंतल 500 रुपये का बोनस दिया जाएगा, इसके साथ ही उन्होने ये भी कहा था कि ये बोनस 20 अक्टूबर 2018 से 19 जनवरी 2019 के बीच सरकारी मंडियों में बीचे गई फसल पर देय है।

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2200 करोड़ का बोझ
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 20 अक्टूबर से 10 दिसंबर तक करीब 15.29 लाख टन सोयाबीन और 9.96 लाख टन मक्का प्रदेश सरकार की 257 मंडियों में बेचा जा चुका है, अनुमान के अनुसार 19 जनवरी तक करीब 28 लाख टन सोयाबीन और 16 लाख टन मक्का और बेचा जाएगा, इतनी फसल पर दिये जाने वाले बोनस के सरकारी खजाने पर करीब 22 सौ करोड़ रुपये बोझ आने का अनुमान है।

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कांग्रेस ने भी किया है वादा
किसानों को इस बोनस की रकम 19 जनवरी 2019 के बाद से भुगतान किया जाना है, इससे पहले कांग्रेस ने चुनाव में वादा किया था कि सरकार गठन के 10 दिनों के भीतर किसानों के लोन माफ कर दिये जाएंगे, किसानों के 2 लाख रुपये का कर्ज और बिजली बिल माफ करने पर भी प्रदेश सरकार को भारी रकम खर्च करना है, नहीं तो वादाखिलाफी का आरोप लग सकता है।

टूटेगी कांग्रेस सरकार की कमर
2200 करोड़ का इंतजाम और 17 कृषि उत्पादों पर बोनस देने का अपना वादा निभाने में नई सरकार की कमर टूटनी स्वाभाविक है, इतना पैसा खर्च होने के बाद विकास के दूसरे कार्य के लिये रकम जुटा पाना प्रदेश सरकार के लिये आसान नहीं होगा, क्योंकि इससे शहरी मतदाता कांग्रेस से नाराज हो सकते हैं, अगर वादे पूरे नहीं किये, तो ग्रामीण मतदाता लोकसभा चुनाव में सबक सिखा सकते हैं, ऐसे में कांग्रेस के लिये आगे कुंआ तो पीछे खाई वाली स्थिति है।