विजय माल्या के वकील का बड़ा खुलासा, पूर्व पीएम ने की लोन दिलाने में मदद

कोर्ट के फैसला सुनाने से पहले विजय माल्या ने ट्विटर पर लिखा था कि मैंने एक भी पैसे का कर्ज नहीं लिया है, कर्ज किंगफिशर एयरलाइंस कंपनी ने लिया था।

New Delhi, Dec 13 : लंदन में रह रहे भगोड़े विजय माल्या को भारत लाने का रास्ता भले साफ हो गया हो, लेकिन इस केस की सुनवाई के दौरान आरोप-प्रत्यारोपों का जो दौर चला, उसमें कई बातें सामने आई, विजय माल्या की लीगल टीम के सदस्य और राजनीतिक तथा आर्थिक विज्ञानी प्रोफेसर लॉरेंस सेज ने लंदन के कोर्ट में कहा कि उनके मव्वकिल विजय माल्या भारत के दो राजनीतिक दलों के बीच फंसे हैं। इस केस में दोनों एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं, अमर उजाला डॉट कॉम में छपी रिपोर्ट के अनुसार सेज ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री ने उन्हें लोन दिलाने में मदद की थी, इसके साथ ही उन्होने कोर्ट में सीबीआई को पिंजरे का तोता और राजनीतिक लोगों को लड़ाई का अखाड़ा तक कह दिया।

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प्रत्यर्पण की मंजूरी
सोमवार को लंदन के कोर्ट ने शराब कारोबारी के केस की सुनवाई करते हुए उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, लंदन के वेस्टमिंस्टर कोर्ट में जज एम्मा अर्बथनॉट ने ये फैसला सुनाया, भगोड़े विजय माल्या पर करीब 9 हजार करोड़ की धोखाधड़ी और धन शोधन का आरोप है, हालांकि पिछले साल अप्रैल में प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तारी के बाद विजय माल्या जमानत पर रिहा हैं।

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माल्या ने क्या कहा ?
कोर्ट के फैसला सुनाने से पहले विजय माल्या ने ट्विटर पर लिखा था कि मैंने एक भी पैसे का कर्ज नहीं लिया है, कर्ज किंगफिशर एयरलाइंस कंपनी ने लिया था, बिजनेस में असफलता की वजह से बैंक का पैसा बकाया है, किंगफिशर के मालिक ने कहा कि मैंने मूल राशि का 100 फीसदी लौटाने की पेशकश की है, लेकिन राजनीतिक वजह से मुझे निशाना बनाया जा रहा है।

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सीबीआई पर सवाल
किंगफिशर के मालिक की ओर से कोर्ट में पेश हुए प्रोफेसर सेज, मॉटगोमेरी और वॉटसन का कहना था कि सीबीआई की प्रतिष्ठा पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, मामले की जांच कर रहे सीबीआई के स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना का नाम भी कोर्ट में कई बार लिया गया, माल्या की पैरवी कर रहे प्रोफेसर सेज ने कई बार अस्थाना के चरित्र और प्रोफेशनल इंटीग्रेशऩ पर भी सवाल खड़े किये।

सीबीआई पिंजरे का तोता
प्रोफेसर सेज ने मामले में कहा कि सीबीआई पिंजरे का तोता है, वो अपने मास्टर की बोली बोलता है, ऐसे में उस जांच एजेंसी से निष्पक्षता की उम्मीद कैसे की जा सकती है, उन्होने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस सरकार में सीबीआई की स्वतंत्रता पहले के मुकाबले कम हुई है, ईडी को लेकर सेज ने कहा कि इस एजेंसी में राजनीतिक हस्तक्षेप होने के ज्यादा सबूत नहीं है।