इस बार 15 जनवरी को मनाया जाएगा मकर संक्राति का त्‍यौहार, ये है वजह

हर वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्राति का पर्व मनाया जाता है, ये हिंदुओं का पवित्र धार्मिक त्‍यौहार है । लेकिन इस बार ये त्‍यौहार 14 की जगह 15 को भी मनाया जाएगा । जानें इसकी वजह ।

New Delhi, Jan 10 : सूर्य का मकर राशि में गोचर मकर संक्रांति कहलाता है, हिंदुओं के लिए ये पर्व नव वर्ष के आगमन के रूप में मनाया जाता है । इस दिन सूर्य उपासना और सूर्य से जुड़ी वस्‍तुओं को घर में लाने से लाभ होता है । ज्‍योतिष जानकारों के अनुसार साल 2012 और 2016 के बाद इस बार भी 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी, क्योंकि वैदिक ज्योतिष में संक्रांति का अर्थ ही सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना है। जब सूर्य चक्र के दौरान धनु राशि से मकर या दक्षिणायन से उत्तरायण होते है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस बार 14 जनवरी की शाम 7 बजकर 52 मिनट से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। इस कारण कई श्रद्धालु 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति मनाएंगे।

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मकर संक्राति पर दान-पुण्य और स्नान का विशेष लाभ
ज्‍योतिषाचार्य के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को 11.52 बजे तक है ।इस बार नवग्रहों में बलशाली सूर्य 14 जनवरी की शाम करीब 7.52 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा । इसके साथ ही मकर संक्रांति आरंभ होगी । इसी वजह से भक्‍त जन दोनों दिन दान-पुण्य और स्नान कर सकेंगे । सूर्य के 16 दिसंबर को धनु राशि में प्रवेश करने के बाद से ही पौष मास शुरू हो गया था । अब  लगभग एक महीने बाद भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाएगा ।

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स्‍नान का विशेष महत्‍व
ज्‍योतिष और धर्म के जानकारों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन स्‍नान का विशेष महत्‍व है । यदि आप किसी सिद्ध सरोवर या पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते तो कोई बात नहीं । इस दिन स्‍नान अवश्‍य करें, नहाने के पात्र में गंगाजल और तिल डालकर स्नान किया जा सकता है । ये बहुत लाभ पहुंचाता है । मकर संक्राति के स्‍नान के बाद दान का विशेष महत्‍व है । कई स्‍थानों में ये दिन खिचड़ी के त्‍यौहार के रूप में मनाया जाता है और इस दिन खिचड़ी यानी उड़द और चावल का दान बहुत ही पुण्‍यकारी माना जाता है ।

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मकर संक्रांति से जुड़ी कथाएं
ग्रह-नक्षत्रों और तिथि गणना के अनुसार पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और सूर्य उत्तरायण होते हैं तो सारे शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। इस दिन को लेकर कथाएं भी प्रचलित हैं कि इसी दिन गंगा भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम में आई थी । इसी दिन भीष्म पितामह ने देह त्यागी थी तथा इसी दिन मां यशोदा ने भगवान कृष्ण को पाने के लिए व्रत किया था । ऐसी मान्‍यता भी है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं।