आरक्षण ही नहीं बल्कि मोदी के तरकश में हैं कई तीर, अभी बड़ा दांव बाकी है

अटकलें लगाई जा रही है कि आम चुनाव के पहले मोदी सरकार अपने तरकश के बाकी तीरों को भी छोड़ सकती है।

New Delhi, Jan 10 : आर्थिक आधार पर आरक्षण बिल राज्यसभा में पास हो चुका है, अब केन्द्र सरकार ने संसद में 14 दिनों के बजट सत्र का फैसला लिया है, जो इसी महीने 31 जनवरी से शुरु होगा, आपको बता दें कि ये चुनावी साल है, चुनाव से पहले बजट संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने के लिये कुछ दिनों का सत्र पर्याप्त माना जाता है, लेकिन 14 दिनों के लंबे सत्र के फैसले के बाद ये कयास लगने शुरु हो गये हैं, कि सरकार सामान्य श्रेणी के गरीबों के लिये कोटा के तर्ज पर कुछ और चौंकाने वाले बड़े फैसले ले सकती है।

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मोदी के तरकश में कई तीर
राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा कहा जा रहा है कि मोदी सरकार इस सत्र में नागरिकता संशोधन विधेयक, ट्रिपल तलाक को दंडनीय अपराध बनाने वाले बिल जैसे लंबित विधेयकों को भी पास कराने की कोशिश करेगी, ताकि इसका फायदा उन्हें आम चुनाव में मिल सके।

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अंतरिम बजट
आम चुनाव से पहले पूर्ण बजट पेश करने की स्थिति नहीं होती है, इसलिये कुछ महीनों का खर्च उठाने के लिये सरकार लेखानुदान मांग पेश करती है, इसे वोट ऑन अकाउंट या फिर अंतरिम बजट भी कहा जाता है, वोट ऑन अकाउंट के लिये कुछ ही दिनों का सत्र पर्याप्त माना जाता है, लेकिन मोदी सरकार ने 14 दिनों का सत्र बुलाया है, 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया जाएगा, ऐसे में अटकलें लगाई जा रही है कि आम चुनाव के पहले केन्द्र सरकार अपने तरकश के बाकी तीरों को भी छोड़ सकती है।

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सरकार खेल सकती है बड़ा दांव
आम चुनाव से ठीक पहले सत्र बुलाया गया है, ऐसे में इस बात की संभावना बिल्कुल कम है कि विपक्ष विवादित मुद्दों पर सहयोगी रुख अपनाएगी, हालांकि 10 फीसदी आर्थिक कोटा आरक्षण बिल में भी देखा गया, कि ज्यादातर पार्टियां खुलकर इसका विरोध नहीं कर सकी, इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, कि मोदी सरकार कुछ इसी तरह के और दांव खेल सकती है, जिससे विपक्ष को विरोध में हिचक हो।

शीतकालीन सत्र में कम काम
आपको बता दें कि शीतकालीन सत्र में संसद में काफी काम प्रभावित हुआ, खासकर राज्यसभा तो मुश्किल से चल पाया, जनरल कोटा बिल इसका अपवाद रहा, इस दिन उच्च सदन में कार्यवाही चलती रही, जिस तरह से अचानक लाये गये इस बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के दो-तीन के अंदर ही संसद से मंजूरी मिल गई, उसी तरह सरकार चुनाव से ठीक पहले कुछ और कदम उठा सकती है, उदाहरण के तौर पर किसानों को वित्तीय राहत पहुंचाने जैसे फैसले। अयोध्या में राम मंदिर मसले पर वीएचपी जैसे हिंदूवादी संगठन और संघ सरकार से मांग कर रहे हैं कि इसके लिये संसद में कानून बनाया जाए, हालांकि पीएम मोदी हाल ही में एक इंटरव्यू में स्पष्ट कर चुके हैं, कि वो कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे, अदालती प्रक्रिया में विधायिका दखल नहीं देगी।