सुभाष चंद्र बोस की विमान दुर्घटना से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा खुलासा, ब्रिटिश Website ने किया दावा

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 122वीं जयंती है । इस खास मौके पर ब्रिटिश Website ने बोस की विमान दुर्घटना से जुड़ा बड़ा खुलासा किया है । उनके आखिरी दिनों का ब्‍यौरा कुछ इस तरह दिया गया है ।

New Delhi, Jan 23 : 18 अगस्‍त 1945 का वो काला दिन जिस दिन कथित रूप से नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक विमान दुर्घटना में मारे गए थे, उनके आखिरी दिनों का ब्योरा जारी करने के लिए शुरू की गई एक ब्रिटिश वेबसाइट ने कुछ विवरण जारी किए हैं । इन नए दस्तावेजों में ऐसे कई लोगों का हवाला दिया गया है जो विमान दुर्घटना से जुड़े मामले में किसी ना किसी तरह से शामिल थे । इस नए विवरण में दो ब्रिटिश खुफिया रिपोर्ट भी शामिल हैं जो तथ्यों को स्थापित करने के लिए दुर्घटना स्थल का दौरा करने के बाद तैयार की गई थीं ।

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क्‍या कहती है वेबसाइट ? 
नेताजी के आखिरी दिनों की जांच पड़ताल के लिए शुरू हुई इस वेबसाइट बोसफाइल्स डॉट इनफोद्वारा जारी बयान में कहा गया है कि –  ‘70 बरसों से यह संदेह रहा है कि क्या ऐसी कोई दुर्घटना हुई थी। चार अलग-अलग रिपोर्टों में एक दूसरे के उलट साक्ष्य हैं।’ इन दस्तावेजों में बताया गया है कि 18 अगस्त 1945 की सुबह जापानी वायु सेना के एक बम वर्षक विमान ने वियतनाम के तूरान से बोस और 12-13 अन्य यात्रियों और चालक दल के सदस्यों के साथ उड़ान भरी थी ।

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विमान से जुड़ी जानकारी
बताया गया कि इस विमान में जापानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल टी शीदेई भी सवार थे। विमान का रास्‍ता हेतो ताईपे डेरेन तोक्यो था । आपको बता दें तीन सदस्यीय नेताजी जांच समिति का गठन भारत सरकार ने 1956 में किया था । इस समिति के अध्यक्ष नेताजी की आजाद हिंद फौज के मेजर जनरल शाह नवाज खान थे। इस समिति को बताया गया कि चूंकि मौसम ठीक था और इंजन सुचारू रूप से काम कर रहा था इसलिए पायलट ने हेतो के ऊपर से और सीधे ताईपे जाने का फैसला किया जहां सुबह या दोपहर तक पहुंचा जाता। जापानी एअर स्टाफ अफस्‍र और यात्रियों में शामिल मेजर तारो कोनो ने समिति को इस बताया, ‘मैंने पाया कि बाईं ओर के इंजन ठीक से काम नहीं कर रहे थे। इसलिए मैं विमान के अंदर गया और अंदर में इंजन की जांच करने के बाद मैंने पाया कि यह ठीक से काम रहा है।’

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इंजन को लेकर शंका
उन्होंने बताया कि साथ में मौजूद इंजीनीयर ने भी इंजन की जांच की। हवाईअड्डे पर रखरखाव प्रभारी इंजीनीयर कैप्टन नाकामुरा उर्फ यामामोतो ने मेजर कोनो के साथ सहमति जताई कि बाईं ओर के इंजन में गड़बड़ी है। इंजन को मेजर तकीजावा (पायलट) ने दो बार जांचा । एडजस्ट करने के बाद ही मैंने खुद को संतुष्ट किया कि इंजन की स्थिति ठीक है। मेजर तकीजावा ने इस बात से भी मेरे साथ सहमति जताई कि इंजन में कुछ गड़बड़ी नहीं है । हालांकि, बोस के एडीसी और एक सह यात्री कर्नल हबीब उर रहमान के मुताबिक कुछ ही देर बाद एक जबरदस्त विस्फोट हुआ । जमीन पर से देख रहे नाकामुरा ने कहा, ‘उड़ान भरने के ठीक बाद विमान अपनी बाईं ओर झुक गया और मैंने विमान से कुछ गिरते देखा, बाद में मैंने पाया कि वह प्रोपेलर था।’

ये जानकारी भी दी
यह भी बताया गया कि विमान 30 से 40 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचा था । उन्होंने अनुमान लगाया कि कंक्रीट की हवाईपट्टी से करीब 100 मीटर की दूरी पर विमान दुर्घटना हुआ और तुरंत ही इसके अगले हिस्से में आग लग गई। कर्नल रहमान ने बताया, ‘नेताजी मेरी ओर मुड़े। मैंने कहा ‘आगे से निकलिए, पीछे से रास्ता नहीं है।’ उन्होंने बताया, ‘हम प्रवेश द्वार से नहीं निकल सके क्यांकि यह पैकेज और अन्य चीजों से बंद था। इसलिए नेताजी आगे से बाहर निकले, दरअसल वह आग से होकर दौड़ें। मैं आग की उन्हीं लपटों में उनके पीछे-पीछे था।’

कर्नल  रहमान ने आगे बताया
‘जब मैं बाहर निकला तो मैंने उन्हें अपने से 10 यार्ड आगे, खड़े, मेरे विपरित दिशा से मुझे देखते हुए देखा। मैं दौड़ा और मुझे उनके बुश शर्ट बेल्ट को खोलने में बड़ी मुश्किल हुई। उनकी पतलून में ज्यादा आग नहीं लगी थी और उसे निकालना जरूरी नहीं था। मैंने उन्हें जमीन पर लिटाया और पाया कि उनके सिर पर कटने का एक गहरा निशान है शायद यह बाईं ओर था। उनका चेहरा झुलस गया था और उनके बाल भी आग से झुलस गए थे।’ उन्होंने बताया, ‘नेताजी ने मुझसे हिन्दुस्तानी में कहा-आपको ज्यादा तो नहीं लगी? मैंने जवाब दिया कि मुझे लगता है कि मैं सही सलामत हूं। अपने बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि वह नहीं बच पाएंगे।’

बोस ने रहमान से कहा
‘जब अपने मुल्क वापस जाएं तो मुल्क के भाइयों को बताना कि मैं आखिरी दम तक मुल्क की आजादी के लिए लड़ता रहूंगा, वे जंग ए आजादी को जारी रखें। हिंदुस्तान जरूर आजाद होगा, उसे कोई गुलाम नहीं रख सकता।’ वहीं विमान में मौजूद लेफ्टिनेंट शिरो नोनोगाकी ने कहा, ‘विमान दुर्घटना के बाद जब मैंने पहले नेताजी को देखा तो वह विमान के बाएं पंख की बाएं किनारे के पास कहीं खड़े थे। उनके कपड़ों में आग लगी हुई थी और उनके सहायक (कर्नल रहमान) उनका कोट उतारने की कोशिश कर रहे थे।’
वेबसाइट ने दी ये जानकारी
वेबसाइट ने आगे बताया कि इन बयानों से दुर्घटना होने और इसके परिणामस्वरूप बोस के गंभीर तौर पर झुलसने के तथ्य के बारे में कोई दो राय नहीं है। नेताजी को गंभीर हालत में पास के ही नानमोन मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया । सितंबर 1945 में भारत स्थित ब्रिटिश अधिकारियों ने सुभाष चंद्र बोस का अता पता लगाने और अगर संभव हो तो उन्हें गिरफ्तार करने के लिए खुफिया टीमें भेजी थी । बजाए नेताजी को लाने के ये टीमें उस दुर्घटना की कहानी के साथ लौटे थे ।