प्रियंका गांधी के एंट्री से यूपी में अपना फायदा देख रही है बीजेपी, ये है ‘चुनावी गणित’

प्रियंका से सपा-बसपा गठबंधन को घाटा होगा, क्योंकि चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होगा, खासकर मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है।

New Delhi, Jan 25 : प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आते ही बीजेपी अपना फायदा देख रही है, दरअसल प्रियंका को पूर्वी यूपी का प्रभारी नियुक्त किया गया है, साथ ही माना जा रहा है, कि उनका प्रभाव पूरे यूपी में रहेगा, प्रियंका के एंट्री से यूपी का दंगल मजेदार हो सकता है, क्योंकि हाशिये पर पड़ी कांग्रेस को इससे फायदा मिल सकता है, बीजेपी इसमें ये फायदा देख रही है, कि अगर यूपी में लड़ाई त्रिकोणीय हुआ, तो फायदा उन्हें मिलेगा, क्योंकि बीजेपी विरोधी वोटों का बंटवारा होगा, जिसमें कुछ सीटों पर बीजेपी को बड़ा फायदा मिल सकता है।

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बीजेपी के लिये बड़ा अवसर
माना जा रहा है कि प्रियंका की मौजूदगी से कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के हौंसले बुलंद होंगे, बीजेपी को उम्मीद है कि आम चुनाव में पीएम बनने के सपने देख रहे मायावती, ममता बनर्जी, देवेगौड़ा, शरद पवार और केजरीवाल जैसे दिग्गज कांग्रेस को अपनी ओर बढत लेने नहीं देंगे, इससे उनके पीएम बनने की संभावनाओं पर पानी फिर सकता है।

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पीएम चेहरा और सरकार के काम पर चुनाव
बीजेपी का दावा है कि आम चुनाव सरकार के प्रदर्शन और पीएम उम्मीदवार जैसे मुख्य मुद्दे पर लड़ा जाएगा, बीजेपी के पास नरेन्द्र मोदी का चेहरा है, जबकि कांग्रेस और बाकी दल इस पर अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं, इसके साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने से कांग्रेस में पावर के दो केन्द्र बनेंगे, इससे कांग्रेस को नुकसान होगा।

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सपा-बसपा को घाटा
बीजेपी के एक शीर्षस्थ नेता के अनुसार यूपी में अगड़ों के सामने प्रियंका की मौजदूगी कोई विकल्प पेश नहीं कर पाएगी, क्योंकि अगड़ों का कांग्रेस से मोहभंग हो चुका है, हां, प्रियंका से सपा-बसपा गठबंधन को घाटा होगा, क्योंकि चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होगा, खासकर मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है, जो कि पहले सपा-बसपा को मिलने की उम्मीद की जा रही थी।

अपनों की नाराजगी का कोई खतरा नहीं
यूपी में सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस के प्रियंका के रुप में मास्टर स्ट्रोक के बीच बीजेपी अपनों की नाराजगी किसी भी कीमत में मोल नहीं लेना चाहेगी, बीजेपी नेता ने कहा कि जल्द ही प्रदेश के अपने दोनों सहयोगियों से बातचीत कर सीटों का मसला सुलझा लिया जाएगा, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओ पी राजभर से एक दो दिन में बात हो जाएगी, इसके बाद अपना दल के गिले शिकवे को भी दूर कर लिया जाएगा, ताकि मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरा जा सके।