कल्याणकारी मुद्दों का इन्धन हो तो चल सकती है वंशवाद की भी गाड़ी

सवाल है कि प्रियंका गांधी के पास कौन से मुद्दे हैं जो जनता को उनकी ओर आकर्षित करेंगे ? यह तो आने वाले महीने बताएंगे।

New Delhi, Jan 25 : प्रियंका गांधी को महा सचिव बनाकर कांग्रेस ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसे कांग्रेस का ट्रम्प कार्ड भी कहा जा रहा है। शायद यह एक हद तक वैसा साबित भी हो ! पर, इसके साथ ही कुछ सवाल भी हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस को मौजूदा संकट से उबारने का काम सिर्फ कोई एक चेहरा कर सकता है या मजबूत मुद्दे भी उसके लिए जरूरी होंगे ? अब तक का इतिहास तो यही कहता है कि मुद्दों के इन्धन से ही राजनीति में वंशवाद की गाड़ी आगे बढ़ती रही है। या फिर तेज दौड़ती रही है।

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सवाल है कि प्रियंका गांधी के पास कौन से मुद्दे हैं जो जनता को उनकी ओर आकर्षित करेंगे ?
यह तो आने वाले महीने बताएंगे। दरअसल सत्ता में रहने पर राष्ट्रव्यापी मुद्दे खड़े करने में सुविधा होती है। उसके पास जनता को कुछ देने के लिए अपनी सरकार होती है। पर, कांग्रेस तो अब केंद्र की सत्ता में है नहीं। जब थी, तब तो उसकी प्राथमिकताएं दूसरी ही थीं। ऐसी स्थिति में अब क्या हो सकता है ! पता नहीं। पर अब तक क्या होता रहा है, उसे याद कर लेना मौजूं होगा।
सन 1966 में इंदिरा गांधी प्रधान मंत्री बनी थीं। आज की प्रियंका गांधी की अपेक्षा इंदिरा गांधी का चेहरा तब अधिक चमकदार था। वह योग्य पिता के साथ काम कर चुकी थीं। राजनीतिक अनुभव भी अधिक था।

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पर सिर्फ उनके चेहरे से ही फिर भी काम नहीं चल पाया था। सन 1967 के आम चुनाव में लोक सभा में कांग्रेस का बहुमत घट गया और नौ राज्यों से कांग्रेस की सत्ता छिन गई। तब तक लोक सभा चुनाव के साथ ही विधान सभाओं के भी चुनाव होते थे।
–गरीबी हटाओ का नारा–
सन 1969 में कांग्रेस में महा विभाजन हो गया। इस बीच प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ जैसा लोक लुभावन नारा दे दिया। उसे वास्तविक नारा साबित करने के लिए उन्होंने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। राजाओं के प्रिवी पर्स व विशेषाधिकार समाप्त किए।गरीब लोग प्रभावित हुए। नतीजतन 1971 का लोकसभा चुनाव वह अकेले अपने बूते भारी बहुमत से जीत गईं।याद रहे कि कांग्रेस के विभाजन के बाद लोक सभा में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस का बहुमत समाप्त हो गया था।उनकी सरकार सी.पी.आई.और द्रमुक जैसी पार्टियों के बाहरी समर्थन से चल रही थी।

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— मिस्टर क्लिन राजीव–
संजय गांधी के विमान दुर्घटना में असामयिक निधन के बाद सन 1980 में राजीव गांधी कांग्रेस महा सचिव बनाए गए। प्रारंभिक दौर में राजीव गांधी की छवि ‘मिस्टर क्लिन’ की थी। उन्होंने तीन कथित भ्रष्ट कांग्रेसी मुख्य मंत्रियों को हटवाया था। ‘सत्ता के दलालों’ के खिलाफ आवाज उठाई थी।
नतीजतन सन 1984 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस को अभूतपूर्व सफलता मिली। हालांकि उस चुनाव में इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी आम सहानुभूति का भी बड़ा योगदान था।
पर जब बोफर्स विवाद आया तो राजीव फेल कर गए। हालांकि वही अर्जुन, वही वाण थे।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)