लालकृष्‍ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का ‘भविष्‍य’ पार्टी ने किया तय, लोकसभा चुनाव लड़ने पर लिया ऐसा फैसला   

बीजेपी अपने वयोवृद्ध नेताओं को पार्टी से निवृत्‍त करने की तैयारी में हैं । ऐसे में पार्टी के सीनियर लीडर्स चुनाव कैसे लड़ेंगे ये बड़ा सवाल है, उन्‍हें टिकट मिलेगा या नहीं इस पर भी संशय है । आगे पढ़ें पूरी खबर ।

New Delhi, Jan 26 : बीजेपी मार्गदर्शक मंडल के सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, क्‍या फिर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे । ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्‍योंकि बीजेपी की ओर से 75 से ऊपर के नेताओं को मंत्री पद ना दिए जाने की बात चर्चा मे हैं । हालांकि अंदर की खबर ये भी मिल रही है कि पार्टी ने यह फैसला आडवाणी पर ही छोड़ दिया है । बीजेपी के कुछ नेताओं के मुताबिक 75 पार के कुछ अन्‍य नेताओं जिनमें मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन, शांता कुमार, बी सी खंडूडी, हुकुम देव नारायण यादव, बी एस येदयुरप्पा भी शामिल हैं, इनके चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं, लेकिन इन्‍हें जीत के पाद भी पद नहीं देने का फैसला लिया गया है ।

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सुषमा स्‍वराज और उमा भरती नहीं लड़ेंगी चुनाव
आपको बता दें सुषमा स्‍वराज और उमा भारती जैसे बीजेपी की वरिष्‍ठ पंक्ति के नेता चुनाव नालड़ने की इच्‍छा पार्टी को जाहिर कर चुके हैं । दोनों ही नेताओं ने साफ कहा है कि वो ऐसा अपनी मर्जी से कर रहे हैं, क्‍योंकि स्‍वासथ्‍य की दृष्टि से ये कदम ही सही है । हालांकि अभी तक आडवाणी के मन की बात सामने नहीं आ सकी है ।

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चुनाव लड़ने की इच्‍छा
मुरली मनोहर जोशी के करीबी सूत्रों से आ रही खबर के अनुसार जोशी ने ये फैसला पार्टी पर छोड़ा है । पार्टी आलाकमान जो भी फैसला करे वो उन्‍हें मंजूर होगा । 84 वर्ष के हो चुके मुरली मनोहर जोशी शुरुआत से ही पार्टी का मजबूत स्‍तंभ रहे हैं । चुनाव ना लड़ाने संबंधी कयास इसलिए भी लग रहे हैं क्‍येंकि पिछली सरकार में चुनाव जीतने के बाद भी बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और बी सी खंडूडी को सरकार में शामिल नहीं किया गया था । तब खबर आ रही थी कि आडवाणी लोक सभा अध्यक्ष बनने के इच्छुक थे, लेकिन पार्टी ने इसके लिए सुमित्रा महाजन को जिम्‍मेदारी सौंपी । मोदी मंत्रिमंडल में मई 2014 में शामिल किए उन मंत्रियों को भी बाद में हटा दिया गया जो बाद में 75 साल पूरे कर चुके थे ।

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गुस्‍सा जाहिर करते रहे हैं वरिष्‍ठ
आपको बता दें सरकार से दूर रखे जाने की नाराजगी इन वरिष्‍ठ नेताओं में गाहे-बगाहे देखने को मिलती रही है । बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद आडवाणी, जोशी और यशवंत सिन्हा जैसे नेताओं ने पत्र लिख कर शीर्ष नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे । यशवंत सिन्‍हा तो इसके बाद अपनी नई पार्टी ही लेकर आ गए । वहीं लोक सभा में कामकाज न होने पर आडवाणी भी कई बार सदन के भीतर ही अपनी नाराजगी जता चुके हैं । हालांकि यूपी में बदले हुए हालात पार्टी को कलराज मिश्र और मुरली मनोहर जोशी जैसे कद्दावर नेताओं की अनुपस्थिति का जोखिम दे सकते हैं, बीजेपी को फैस्‍ला सोच समझकर ही करना होगा ।