स्‍वाइन फ्लू के बारे में A to Z जानिए, खतरनाक रूप से फैल रही है बीमारी, बचने के तरीके ये रहे

देश में स्‍वाइन फ्लू का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है । आंकड़ों पर गौर करें तो 1 से 20 जनवरी तक दिल्ली में 267 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं,  जबकि पिछले साल केवल 205 मरीज ही दर्ज किए गए थे ।

New Delhi, Jan 29 : देश में स्‍वाइन फ्लू का खतरा मंडरा रहा है, पिछले साल के मुकाबले इस साल मरीजों की संख्‍या बढ़ती जा रही है । बीमारी से होने वाली मौतें डरा रही हैं । स्‍वाइन फ्लू को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी हरकत में । बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग से तत्काल ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए जा रहे हैं । सभी अस्पतालों में टैमी फ्लू दवा को स्‍टेार करने के लिए कहा गया है । इस बीमारी को लेकर पूरी जानकारी होनी जरूरी है । ताकि आप भी आम सर्दी जुकाम के लक्षण में कन्‍फ्यूज ना हो जाएं । इस बीमारी के बारे में जानिए सब कुछ ।

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जानलेवा नहीं लेकिन खतरनाक है : डॉक्‍टर
मीडिया में आइ र्जानकारी के अनुसार इस समय दिल्ली गेट स्थित लोकनायक अस्पताल में करीब10, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 15, एम्स में 23, सफदरजंग अस्पताल में 18 मरीजों का उपचार चल रहा है।  सफदरजंग अस्पताल के डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि ये चिंता का विषय है कि दिल्ली में अचानक से स्वाइन फ्लू के इतने मरीज सामने आ रहे हैं। चूंकि वायरस का असर सीधे तौर पर प्रभावी नहीं है। इसीलिए फ्लू ग्रस्त मरीजों की जान को खतरा नहीं है।

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जागरूकता है जरूरी
स्‍वाइन फ्लू से सावधानी ही रोग से बचाव है । सफदरजंग अस्पताल के सामुदायिक मेडिसीन विभाग के प्रोफेसर (डॉ.) जुगल किशोर के मुताबिक स्वाइन फ्लू वायरस को लेकर जागरूकता बरतना बेहद कारगर साबित होता है। डॉक्‍टर के मुताबिक वायरस से खतरा उन लोगों को सबसे ज्‍यादा है जो लो इम्‍यूनिटी के होते हैं । ऐसे लोगों को खास सावधानी बरतने की जरूरत है । सार्वजनिक जगहों पर छींकते-खांसते समय मुंह पर रुमाल । पब्लिक प्‍लेस पर थूकें नहीं । सर्दी-जुकाम से पीड़ित या संभावित लक्षणों वाले लोगों को भीड़ वाली जगहों से बचना चाहिए । बस, मेट्रो या अन्‍य पब्लिक वेहिकल यूज करने वाले हाथों में सेनिटाइजर का प्रयोग करें ।

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क्या है स्वाइन फ्लू ?
आइए आपको बताते हैं स्वाइन फ्लू होता क्‍या है । ये इनफ्लुएंजा यानी कि फ्लू वायरस के मुकाबले नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस से होने वाला एक तरह का  संक्रमण है । इस वायरस को ही एच1 एन1 भी कहा जाता है । साल 2009-10 में इसने महामारी का रूप धारण कर लिया था । 10 अगस्त, 2010 को विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने इस महामारी के खत्म होने का भी ऐलान कर दिया था। साल 2009, अप्रैल महीने में में इसे सबसे पहले मैक्सिको में पहचाना गया था ।

स्वाइन फ्लू के लक्षण?
स्‍वाइन फ्लू के शुरुआती लक्षण बुखार, जुकाम और सदी जैसे ही हैं । लेकिन धीरे-धीरे ये आपको चपेट में ले लेता है । ऐसे लक्षण दिखें तो नजरअंदाज ना करें ।
नाक का लगातार बहना, छींक आना
कफ, कोल्ड और लगातार खांसी
मांसपेशियों में दर्द या अकडऩ
सिर में भयानक दर्द
नींद न आना, ज्यादा थकान
दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढऩा
गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना

बचाव के उपाय
स्वाइन फ्लू से डरे नहीं । अब इससे बचाव के तरीके इजाद कर लिए गए हैं । बहुत ज्‍यादा हालत खराब हो जाए तब ही जान का खतरा माना जाता है । बहरहाल कुछ एहतियात रखकर आप इससे बच सकते हैं ।
जैसे – आराम करें, खूब पानी पीएं । डॉक्‍टर शुरुआत में पैरासीटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए देते हैं । बीमारी के बढऩे पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाएं भी दी जाती है । दवा का सेवन डॉक्‍टर के परामर्श के बाद ही करें । याद रखें सावधानी ही बचाव है ।