बुआ-भतीजा ने कर दिया मध्यप्रदेश में ‘खेल’, बढ़ गई कांग्रेस की मुसीबत, हो गया बीजेपी का रास्ता साफ
मध्यप्रदेश में सपा-बसपा मिलकर दूसरे दलों के लिए मुसीबत बनने की तैयारी में हैं, लेकिन इससे किसको फायदा होगा । कहीं दोनों दलों का ये गठजोड़ कांग्रेस के लिए ही बड़ी मुसीबत ना बन जाए ।
New Delhi, Feb 08 : 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा एकदम खाली हाथ रह गई । एक भी सीट पार्टी के हाथ नहीं लगी । सपा का हाल भी कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था । बड़ी पार्अियों से हाथ मिलाने का नुकसान क्षेत्रीय दलों को भी खूब समझ में आया । 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बसपा तो अब ऐसी गलती दोबारा नहीं करने वाली । बसपा ने यूपी में सवा से हाथ मिला लिए हैं और अन्य राज्यों में भी मिलकर चुनाव लड़ने की प्लानिंग चल रही है । वहीं समाजवादी पार्टी ने हाल ही में ये साफ कर दिया कि मध्यप्रदेश में दोनों दल साथ मिलकर लड़ने वाले हैं ।
मध्यप्रदेश में बदले सियासी समीकरण
मध्यप्रदेश में हुए हालिया विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद से राज्य में सियासी समीकरण तेजी से बदले हैं । 15 साल की शिवराज सरकार के जाने और कांग्रेस के सत्ता में काबिज होने से काफी कुछ बदल गया । समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रभारी जगदेव सिंह यादव ने जानकारी देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी सपा, बसपा के साथ चुनावी गठबंधन करेगी । बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के असंतुष्टों की निगाहें भी इस गठबंधन पर टिकी हैं ।
हो सकता है खतरा
माना जा रहा है उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए सपा और बसपा का गठबंधन और सीटों के बंटवारे से बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है । अखबार नईदुनिया से चर्चा में सपा के प्रदेश प्रभारी जगदेव सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए मप्र में भी सपा-बसपा का चुनावी गठबंधन होगा। इसके लिए बसपा प्रमुख मायावती और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच चर्चा चल रही है। जल्द ही अंतिम निर्णय का एलान होगा । सपा की मप्र इकाई का गठन होते ही इसका भी खुलासा कर दिया जाएगा।
असंतुष्ट नेता गठबंधन को ले सकते हैं सहारा
माना जा रहा है कि राज्यों में टिकट ना मिलने की संभावनाओं से बीजेपी और कांग्रेस के असंतुष्ट नेता सपा-बसपा के गठबंधन का सहारा ले सकते हैं । ऐसे नेताओं ने संसदीय क्षेत्र में अपनी प्रारंभिक चुनावी तैयारी पूरी कर ली है, साथ ही अगले प्लान पर काम करना भी शुरू कर दिया है । अगर अपने दल से टिकट नहीं मिलता तो वो गठबंधन का दामन थामने से पीछे नहीं हटेंगे । दावा किया जा रहा है कि ऐसे कुछ नेताओं ने लखनऊ में लॉबिंग शुरू भी कर दी है । आपको बता दें सपा मध्यप्रदेश में अपनी पार्अी इकाई को भंग कर चुकी है अब ऐसे में पहले यहां प्रदेश इकाई का गठन होगा उसके बाद ही लोकसभा चुनाव के लिए तैरूारियों शुरू होंगी ।