मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला, बदला 27 साल पुराना नियम, लाखों कर्मचारियों को मिलेगा फायदा

अधिकारियों के अनुसार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बढोत्तरी हुई थी, ऐसे में निवेश के लिमिट की सीमा भी बढाने का फैसला लिया गया है।

New Delhi, Feb 09 : केन्द्र की मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है, दरअसल केन्द्र सरकार ने कर्मचारियों के शेयरों और म्यूचुअल फंडों में निवेश की लिमिट बढा दी है, अब ये लिमिट बढकर कर्मचारियों के 6 महीने की मूल तनख्वाह के बराबर होगी। इस संबंध में गुरुवार को केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है।

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27 साल बाद बदलाव
आपको बता दें कि गुरुवार को कार्मिक मंत्रालय ने सभी विभागों को इसकी जानकारी दे दी है, मिनिस्ट्री ने इस बारे में केन्द्र सरकार के सभी विभागों को आदेश जारी किया है, मालूम हो कि सरकार के इस फैसले के बाद करीब 27 साल पहले की मौद्रिक सीमा नियम में बदलाव होगा।

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पहले कितना कर सकते थे निवेश
पहले के नियमों के अनुसार ग्रुप ए और ग्रुप बी के अधिकारियों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचरों या म्यूचुअल फंड योजनाओं में एक कैलेंडर साल में पचास हजार रुपये से ज्यादा का लेन-देन करने पर उसका ब्यौरा देना होता था, वहीं ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों के लिये ये लिमिट 25 हजार रुपये थी। अब नये नियम के मुताबिक कर्मचारी अपने निवेश की सूचना तभी देंगे, जब एक कैलेंडर साल में ये निवेश उनके 6 महीने के मूल वेतन को पार कर जाएगा।

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क्यों हुआ फैसला
अधिकारियों के अनुसार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बढोत्तरी हुई थी, ऐसे में निवेश के लिमिट की सीमा भी बढाने का फैसला लिया गया है, प्रशासनिक अधिकारी ट्रांजेक्शन पर निगाह रख सकें, इसके लिये सरकार ने कर्मचारियों को ब्योरा साझा करने का प्रारुप जारी किया है।

क्या है सर्विस नियम
नियम के अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी शेयर या किसी अन्य निवेश में सटोरिया गतिविधियां नहीं कर सकता है, इसके अलावा अगर किसी कर्मचारी द्वारा शेयरों, प्रतिभूतियों और अन्य निवेश की बार-बार खरीद बिक्री की जाती है, तो उसे सटोरिया गतिविधि माना जाएगा, कभी-कभी शेयर ब्रोकर या किसी अन्य अधिकृत व्यक्ति के जरिये किये जाने वाले निवेश की अनुमति है।