लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मायावती ने चढा दिया सियासी तापमान, गठबंधन तोड़ने का ऐलान

बसपा सुप्रीमो मायावती के अचानक इस फैसले से हरियाणा की राजनीति में बवाल मच गया है, बसपा और इनेलो के गठबंधन को अभी एक साल भी नहीं हुआ था।

New Delhi, Feb 10 : लोकसभा चुनाव की तारीखें जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे सियासी घमासान तेज होता जा रहा है, खासकर गठबंधन को लेकर कई पार्टियां गुणा-भाग करने में जुटी हुई है, इसी कड़ी में बसपा सुप्रीमो मायावती ने बड़ा फैसला लिया है, उन्होने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा में इंटरनेशनल लोकदल (इनेलो) से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है, हाल ही में हुए जींद उपचुनाव के नतीजों के बाद मायावती ने ये फैसला लिया है, आपको बता दें कि मायावती ने जहां एक ओर इनेलो से गठबंधन तोड़ा, वहीं एक दूसरी पार्टी से गठबंधन फाइनल भी कर लिया है।

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हरियाणा की राजनीति में बड़ा उलटफेर
बसपा सुप्रीमो के अचानक इस फैसले से हरियाणा की राजनीति में बवाल मच गया है, मालूम हो कि बसपा और इनेलो के गठबंधन को अभी एक साल भी नहीं हुआ था, पिछले साल 18 अप्रैल 2018 को दोनों पार्टियों के नेताओं ने एक-दूसरे से हाथ मिलाने का ऐलान किया था, लेकिन 9 महीने के भीतर ही दोनों दलों ने अपनी राहें अलग करने का फैसला किया, ये कोई पहली बार नहीं है, जब दोनों पार्टियों का गठबंधन टूटा है, इससे पहले 1998 में भी दोनों दलों का गठबंधन हुआ था, फिर 1999 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ये टूट भी गया था।

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इनेलो-बसपा गठबंधन टूटा
इस बार गठबंधन टूटने की बड़ी वजह जींद उपचुनाव बताया जा रहा है, दरअसल जींद में इनेलो ने उम्मेद सिंह रेढू को अपना उम्मीदवार बनाया था, जिससे बसपा ने भी समर्थन दिया था, जींद में इनेलो प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई, जिसके बाद बसपा ने जींद ईकाई को भंग कर दिया, साथ ही कयास लगाये जाने लगे कि जल्द ही मायावती गठबंधन को लेकर भी बड़ा फैसला ले सकती है, इसके बाद अब उन्होने इनेलो से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया।

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एक साल भी नहीं चल सका गठबंधन
बसपा और इनेलो का गठबंधन हरियाणा में एक साल भी नहीं चल सका, अब बसपा बीजेपी के बागी सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से गठबंधन का ऐलान कर दिया है, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बसपा और एलएसपी के बीच आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन किया गया है, दोनों पार्टियों ने सीटों का बंटवारा भी कर लिया है, जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव में बसपा 8 और एलएसपी 2 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, तो विधानसभा में 55 सीटों पर बसपा और 35 सीटों पर एलएसपी के उम्मीदवार मैदान में होंगे।

इनेलो को लिये तगड़ा झटका
बसपा के इस फैसले को ओपी चौटाला की पार्टी इनेलो के लिये तगड़े झटके के रुप में देखा जा रहा है, मायावती ने ये फैसला ऐसे समय में लिया है, जब चौटाला परिवार अंदरुनी झगड़े से गुजर रहा है, हाल ही में दुष्यंत चौटाला ने परिवार से अलग होकर जननायक जनता पार्टी का गठन किया है, जींद उपचुनाव में दुष्यंत के छोटे भाई दिग्विजय चुनावी मैदान में थे, वो दूसरे नंबर पर रहे।