बीहड़ के शेर का खुला ऐलान, सरकार इजाजत दे तो कुछ ही घंटों में पाकिस्तान को धूल चटा दूंगा

खुद को बागी कहने वाले मलखान सिंह ने कहा कि चुनाव होंगे और होते रहेंगे, लेकिन पुलवामा हमले का बदला जरुर लेना चाहिये।

New Delhi, Feb 20 : चंबल में शेर कहे जाने वाले दस्यु सरगना डाकू मलखान सिंह ने पुलावामा हमले के बाद आहत होकर पाकिस्तान को ललकारा है, उन्होने कहा कि मध्य प्रदेश में सात सौ बागी बचे हैं, अगर सरकार इजाजत दे, तो बिना शर्त बिना वेतन हम बॉर्डर पर देश के लिये मर मिटने को तैयार हैं, उन्होने आगे बोलते हुए कहा कि 15 साल बीहड़ों में कथा नहीं बांची है, मां भवानी की कृपा है, तो मलखान सिंह का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, पाकिस्तान को धूल चटा दूंगा, उसे उसकी औकात दिखा दूंगा, गांव और जिले का बागी रहा हूं, देश का नहीं।

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चुनाव लड़ने की इच्छा
मंगलवार को मलखान सिंह पुलवामा हमले में शामिल शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये कानपुर आये हुए थे, उन्होने राजनीतिक पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि जब जनता से किये वादे पूरे नहीं करोगे, तो हारोगे ही, मध्य प्रदेश में चुनाव हार गये, इसके साथ ही मलखान सिंह ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव में कोई पार्टी टिकट देती है, तो वो चुनाव लड़ सकते हैं।

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चुनाव तो होते रहेंगे, पहले बदला ले
खुद को बागी कहने वाले मलखान ने कहा कि चुनाव होंगे और होते रहेंगे, लेकिन पुलवामा हमले का बदला जरुर लेना चाहिये, अगर कश्मीर पर सही फैसला नहीं लिया गया, तो कोई भी राजनीति पर भरोसा नहीं करेगा, पाक में घुसकर उसकी घज्जियां उड़ाने का समय आ गया है, एक दो आतंकियों को मारने में हमारे देश को पांच जांबाज शहीद हो रहे हैं।

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अन्याय के खिलाफ राजनीति करेंगे
बीहड़ के शेर ने कहा कि मैंने 1982 में आत्मसमर्पण किया था, तब एमपी के सीएम अर्जुन सिंह थे, इंदिरा गांधी के परमिशन के बाद ये आत्मसमर्पण हुआ था, मैंने मंच से ऐलान किया था, कि यदि कोई महिला शिनाख्त कर दे, कि मलखान ने चांदी की भी अंगूठी उतारी हो, तो इसी मंच के सामने मुझे फांसी पर लटका दिया जाये, हम अन्याय के खिलाफ राजनीति करेंगे, हम राजनीति अपना पेट भरने के लिये नहीं करेंगे, हमारी पहली प्राथमिकता विकास है, जनता की समस्याओं को हल करना, ना कि कमाई करना।

देश के बागी नहीं हैं हम
पूर्व डाकू ने कहा कि बीहड़ में रहते हुए भी मेरा इतिहास बहुत साफ सुथरा रहा है, महात्मा बहुत सच्चे होते हैं, लेकिन बागियों का इतिहास ठोस रहा है, इतना तो साधु संतों का भी नहीं होता, साधु तो मेरे घेरे में आ चुके हैं, जेल में भी पड़े हैं, कुकर्म की सजा भुगत रहे हैं, लेकिन बागियों के विषय में कोई बता दें, हम गांव और जिले के बागी रहे हैं, देश के नहीं, देश के लिये मर मिटने को तैयार हैं।