Opinion-विपक्ष को नहीं दिख रहा कि इस बार का चुनाव अब औपचारिकता भर रह गया है, नतीजा अभी से सामने है

कांग्रेस समेत सारे विपक्ष को निरंतर अपनी कब्र खोदने की कुटैव लग गई है । इस चुनाव के लिए भी कांग्रेस समेत सारे विपक्ष ने अपनी कब्र पूरी तबीयत से खोद रखी है ।

New Delhi, Mar 06 : ममता बनर्जी , दिग्विजय सिंह , सलमान खुर्शीद , संजय निरुपम , महबूबा मुफ्ती आदि-इत्यादि या जो भी कोई लोग सर्जिकल स्ट्राइक की तरह एयर स्ट्राइक के भी सुबूत मांग रहे हैं , दरअसल वह सुबूत नहीं मांग रहे अपनी मुस्लिम कांसिटीच्युएंसी को एड्रेस कर रहे हैं । सब के सब मुस्लिम जमात को ख़ुश करने में लगे हैं। देश जाए भाड़ में । जैसे बाटला हाऊस , अफजल गुरु आदि मसलों पर वह इस के अभ्यस्त रहे हैं।

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इस बार यह ज़रूर हुआ है कि दिग्विजय सिंह ने आज के बयान में ओसामा बिन लादेन का नाम लेते हुए ओसामा जी नहीं बोले । ओसामा बिन लादेन बोले । जैसे भी हो , थोड़ा सुधार हुआ है । गनीमत यह भी रही कि दिग्विजय सिंह ने आज यह भी नहीं कहा कि पाकिस्तान पर हिंदू आतंकियों और आर एस एस ने एयर स्ट्राइक किया है । जैसे कभी मुम्बई हमले के समय दिग्विजय सिंह ने कहा था कि यह हमला पुलिस अफसर हेमंत करकरे को मारने के लिए आर एस एस और हिंदू आतंकवादियों ने किया है । जैसे बाटला हाऊस मुठभेड़ में मारे गए मुस्लिम आतंकियों के मारे जाने पर सलमान खुर्शीद ने बताया था कि इस पर सोनिया गांधी फूट-फूट कर रोई थीं ।

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असल में इन सब बातों पर बहुत अफ़सोस नहीं करना चाहिए। मान लेना चाहिए कि कांग्रेस समेत सारे विपक्ष को निरंतर अपनी कब्र खोदने की कुटैव लग गई है । इस चुनाव के लिए भी कांग्रेस समेत सारे विपक्ष ने अपनी कब्र पूरी तबीयत से खोद रखी है । बस मतदान के दिन इस कब्र पर मिट्टी डालने के लिए तैयार रहिए। पूरा देश और दुनिया एक तरफ है , कांग्रेस समेत भारत का समूचा विपक्ष और मुस्लिम समाज एक तरफ है । मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों की धुन पर जुबानी-जुबानी नरेंद्र मोदी को मिटाने की धुन में मगन हैं ।

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इंदिरा गांधी की याद आती है । एक समय इंदिरा गांधी अपने भाषणों में कहती थीं कि मैं कहती हूं , गरीबी हटाओ , वह कहते हैं इंदिरा हटाओ । आज मोदी भी कह रहे थे , मैं कहता हूं , आतंकवाद हटाओ और वह कहते हैं नरेंद्र मोदी हटाओ । आतंकवाद तो खैर पाकिस्तान को छोड़ कर पूरी दुनिया हटाना चाहती है । और भारत सरकार के साथ दुनिया के लगभग सारे देश खड़े हैं । बस एक भारत का विपक्ष है जो तरह-तरह के सवाल उठाता , नरेंद्र मोदी को हटाने में व्यस्त और न्यस्त है । नतीज़ा सामने है , विपक्ष समाप्ति के कगार पर खड़ा दीखता है । लेकिन विपक्ष को यह नहीं दीखता। विपक्ष यह भी नहीं देख पा रहा कि इस बार चुनाव महज़ औपचारिकता रह गया है । नतीज़ा अभी से सामने है।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)