प्रशांत किशोर के बयान से बिहार में सियासी भूकंप, बीजेपी-जदयू में खलबली

प्रशांत किशोर ने कहा कि जुलाई 2017 में महागठबंधन से अलग होने का फैसला नीतीश कुमार का सही था या नहीं, ये मापने का कोई पैमाना नहीं है।

New Delhi, Mar 10 : आम चुनाव से पहले जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बयान ने सियासी भूचाल ला दिया है, पीके ने एक इंटरव्यू में कहा कि वो पार्टी प्रमुख और सीएम नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ दोबारा गठबंधन करने के तरीके से सहमत नहीं हैं, साथ ही उन्होने ये भी कहा कि महागठबंधन से अलग होने पर नीतीश कुमार को दोबारा नये सिरे से जनादेश हासिल करना चाहिये था, पीके के इस बयान के बाद उनकी अपनी ही पार्टी में खलबली मच गई है।

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जदयू-बीजेपी गठबंधन पर बड़ा बयान
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू के दौरान ये बातें कही है, पीके के इस बयान के बाद जदयू के भीतर ही हलचल तेज हो गई है, पार्टी के कई नेता उनके इस बयान से असहज है, हालांकि प्रशांत किशोर ने ये भी कहा था कि नेताओं का पाला बदलना कोई नई बात नहीं है। जदयू उपाध्यक्ष ने चंद्रबाबू नायडू, नवीन पटनायक और डीएमके का उदाहरण भी दिया। उन्होने कहा कि अगर पीछे देखेंगे, तो हमारे पास वीपी सिंह सरकार का उदाहरण है, जिसे बीजेपी और वाम दलों ने समर्थन भी दिया था।

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नये सिरे से जनादेश लेना चाहिये था
पीके ने कहा कि जुलाई 2017 में महागठबंधन से अलग होने का फैसला नीतीश कुमार का सही था या नहीं, ये मापने का कोई पैमाना नहीं है, जो लोग नीतीश कुमार में नरेन्द्र मोदी को चुनौती देने की संभावनाएं देखते थे, उनके इस कदम से वो निराश हुए, लेकिन जिन्हें लगता था कि मोदी से मुकाबला करने के चक्कर में नीतीश ने शासन से समझौता किया, वो इस फैसले को सही मान रहे थे।

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बीजेपी के साथ दोबारा गठबंधन के तरीके से सहमत नहीं
बीजेपी के साथ दोबारा लौटने के तरीके पर प्रतिक्रिया देते हुए पीके ने कहा कि बिहार के हितों को ध्यान में रखते हुए मेरा या मानना है कि ये सही फैसला था, लेकिन जो तरीका अपनाया गया, उससे मैं सहमत नहीं हूं, मेरी अभी भी यही राय है कि बीजेपी के साथ दोबारा गठबंधन के फैसले पर उन्हें आदर्श रुप से नया जनादेश हासिल करना चाहिये था।

भ्रष्टाचार के आरोपों से असहज हुए नीतीश
मालूम हो कि 2015 बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान पीके ने नीतीश कुमार के लिये काम किया था, महागठबंधन की सरकार बनने के बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिससे नीतीश असहज हो गये, उनकी खूब आलोचना हुई, बाद में उन्होने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया, हालांकि महज 24 घंटे बाद ही उन्होने दोबारा सीएम पद का शपथ ले लिया।