यूं ही नहीं दी पाकिस्तान ने मसूद अजहर की ‘बलि’, भारत के प्लान B से चीन तक सहम गया था

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अपने खिलाफ होती ऐसी कार्रवाई को देख पाकिस्‍तान खुद ही घबरा गया और उसने आतंकी मसूद को यूएन के द्वारा ग्‍लोबल आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्‍ताव पर सहमति जता दी …

New Delhi, May 02 : मसूद अजहर का ग्‍लोबल आतंकी घोषित होना भारत की एक बड़ी जीत माना जा रहा है । भारत लंबे समय से इस कोशिश में लगा हुआ था, 4 बार अड़ंगे के बावजूद आखिरकार चीन को झुकना पड़ा । यूएन में वीटो पॉवर के जरिए अब तक चीन मसूद अजहर को बचाता आ रहा था । दरअसल भारत पुलवामा हमले के बाद से इस मुद्दे को लेकर अंतर्राष्‍ट्रीय पटल में बार-बार अपनी मांग रख रहा था । खबर तो ये भी है कि भारत पूरे पाकिस्‍तान को ही आतंकवादी देश घोषित करवाना चाहता था, जिसके लिए उसे उसे अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का समर्थन भी मिल रहा था ।

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पाकिस्‍तान हो सकता था ब्‍लैकलिस्‍ट
बताया जा रहा है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स में भी पाकिस्‍तान को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी चल रही थी । मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अपने खिलाफ होती ऐसी कार्रवाई को देख पाकिस्‍तान खुद ही घबरा गया और उसने आतंकी मसूद को यूएन के द्वारा ग्‍लोबल आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्‍ताव पर सहमति जता दी । खबर है कि पुलवामा हमले के बाद से जैश आतंकी सरगना लगातार पाकिस्‍तान में ठिकाने बदल रहा था जिसमें पाक की खुफिया एजेंसियां उसकी मदद कर रहीं थी ।

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चीन को भी झुकना पड़ा
मसूद अजहर के मामले में भारत की ओर से अभियान लगातार जारी था वहीं दुनिया के सशकतदेशों का समर्थन भी प्राप्‍त था, लिहाजा चीन भी कुछ ना कर सकता । आखिरकार चीन को भी पीछे हटना ही पड़ा । जानकारी के अनुसार बुधवार को न्यूयॉर्क में सुबह 9 बजे संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन को इंडोनेशिया के दूत की ओर से संयुक्त राष्ट्र का एक संदेश मिला। जिसमें उन्हें बताया गया कि जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को ग्‍लोबल आतंकी घोषित करने की राह में अब किसी भी देश को कोई आपत्ति नहीं है । पाकिस्तान की ओर से चीन को अपनी सहमति बताए जाने के बाद उसने भी अपनी ओर से हामी भर दी । भारत के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक सफलता थी ।

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टेक्निकल होल्‍ड पर था मसूद बैन का मामला
14 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद से ही भारत लगातार कोशिश में था कि जैश सरगना के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जाए । यूएन में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन के मसूद पर बैन के प्रस्‍ताव पर चीन ने 13 मार्च को टेक्निकल होल्ड लगा दिया था । जिसके बाद अमेरिका से भी दबाव डाला गया, फ्रांस और यूके की तरफ से भी सहयोग मिला और भारत की स्थिति मजबूत होती चली गई । भारत के यूएन में स्‍थयी प्रतिनिधि ने जानकारी देते हुए कहा था कि ये सब आसान नहीं था। मसूद को लेकर एक व्यापक वैश्विक गठबंधन बना, जिसमें भारत अकेला नहीं था । अफ्रीका से लेकर यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और कनाडा तक ने मार्च में मसूद को ग्‍लोबल आतंकी घोषित करने के शुरुआती कदम का समर्थन किया था।

चीन पीछे हटा तो पाकिस्‍तान को भी मसूद की बलि देनी पड़ी
चौथी बार चीन के अडंगे के बाद अमेरिका मसूद के खिलाफ नए प्रस्‍ताव पर विचार कर रहा था, कयोंकि अमेरिका अगले 6 महीने इंतजार नहीं करना चाहता था । जैश आतंकी के खिलाफ भारत ने कई पुख्‍ता सुबूत दिए थे । अमेरिका भी इस बात को जानता है कि ये सिथति चीन के लिए मुश्किल होगी । एक आतंकवादी को बचाना चीन की छवि के लिए अच्‍छा नहीं होगा । लिहाजा चीन ने मामले में अपने हितों को टटोला और मसूद से टेक्निकल होल्‍ड हटाने का निर्णय लिया । चीन पीछे हटा तो पाकिस्‍तान भला कैसे टिकता । आखिरकार मसूद को ग्‍लोबल आतंकी घोषित करवाने में भारत सफल रहा ।