बिहार में चुनावी मंचों पर साफ दिख रहा महागठबंधन घटक दलों में बिखराव, बीजेपी उठा रही फायदा

अभी तक बिहार में महागठबंधन के घटक दलों की रैलियों में दूसरे दल के नेता ज्यादा नहीं दिख रहे हैं, जबकि जनसभाओं में इस बात के दावे किये जा रहे हैं।

New Delhi, May 05 : बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार लालू प्रसाद यादव का परिवार इन दिनों बिखराव की वजह से सुर्खियों में हैं, इसके साथ ही राजद की अगुवाई में प्रदेश में बने यूपीए महागठबंधन में भी बिखराव देखने को मिल रहा है, घटक दल सहयोगी नेताओं की रैलियों से दूरी बनाये हुए हैं, जिसकी वजह से समर्थकों और वोटरों में भी खास उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है।

Advertisement

उत्साह की कमी
अभी तक बिहार में महागठबंधन के घटक दलों की रैलियों में दूसरे दल के नेता ज्यादा नहीं दिख रहे हैं, जबकि जनसभाओं में इस बात के दावे किये जा रहे हैं, कि यूपीए के सहयोगी दल मिलकर एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं, राजद मुखिया लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी अपनी पार्टी की कमान संभाल रहे हैं, लेकिन पिता की तरह वो गठबंधन को संभाल नहीं पा रहे हैं, तेजस्वी कांग्रेस और दूसरे सहयोगियों की रैलियों से दूरी बनाये हुए हैं।

Advertisement

तेज प्रताप का तंज
दो दिन पहले ही तेज प्रताप यादव ने अपने छोटे भाई पर तंज कसते हुए कहा था कि लालू जी चुनाव में एक दर्जन से ज्यादा चुनावी सभा किया करते थे, जबकि कुछ लोग दो-तीन में ही लरुआ (बीमार पड़ जाना) जाते हैं। आपको बता दें कि थकान की वजह से तेजस्वी ने कुछ सभाएं रद्द भी की, बीच चुनाव में ही वो बीमार भी पड़ गये थे।

Advertisement

सारण मंडल है महत्वपूर्ण
बिहार में राजद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, लेकिन गठबंधन में एकजुटता दिखाने में सफल नहीं हो पा रही है, सारण मंडल की चार लोकसभा सीटों पर राजद चुनाव लड़ रही है, लेकिन राजद के अलावा किसी भी सहयोगी दल का कोई भी बड़ा नेता वहां प्रचार के लिये नहीं पहुंचा है, महागठबंधन में पांच दल शामिल है, लेकिन प्रचार में अकेले तेजस्वी मोर्चा संभाले हुए हैं।

कुशवाहा-मांझी अपनी सीटों तक सीमित
महागठबंधन में शामिल रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी भी अपनी-अपनी सीटों तक सीमित हैं, तो मुकेश सहनी भी दूसरी पार्टी के प्रत्याशियों से दूरी बनाये हुए हैं, कुल मिलाकर ये कहा जा रहा है कि महागठबंधन में एकता नहीं दिख रही है।