2019 का चुनाव अब अंतिम चरण में है, लोग पूछ रहे हैं कि सरकार किसकी बनेगी ?
‘अगली सरकार और अहंकार’ : 100 सीटोंवाली कांग्रेस सरकार कैसे बना सकती है ? इसी प्रकार भाजपा, जिसे 2014 में 282 सीटें मिली थीं, यदि उसे इस बार 200 या उससे कम सीटें मिलीं तो वह भी मुश्किल में पड़ जाएगी।
New Delhi, May 11 : 2019 का चुनाव अब अंतिम चरण में है। लोग पूछ रहे हैं कि सरकार किसकी बनेगी ? यह क्यों पूछ रहे हैं ? क्योंकि किसी की भी बनती नहीं दिख रही है याने किसी की भी बन सकती है। किसी की याने क्या ? किसी एक पार्टी की नहीं। जो भी बनेगी, वह मिली-जुली बनेगी। उसे आप गठबंधन की कहें या ठगबंधन की! तो पहला प्रश्न यह है कि सबसे बड़ी पार्टी कौन उभरेगी ? सबसे ज्यादा सीटें किसे मिलेंगी ?
इसका जवाब तो काफी सरल है। या तो भाजपा को मिलेंगी या कांग्रेस को मिलेंगी ? कांग्रेस को सबसे ज्यादा नहीं मिल सकतीं। उसकी 50 सीटों की 300 नहीं हो सकतीं। उसके पास न तो वैसा कोई नेता है, न नीति है, न नारा है। लेकिन मोहभंग को प्राप्त हुई जनता कांग्रेस को कुछ न कुछ लाभ जरुर पहुंचाएगी। 50 की 80 भी हो सकती हैं और 100 भी ! 100 सीटोंवाली कांग्रेस सरकार कैसे बना सकती है ? इसी प्रकार भाजपा, जिसे 2014 में 282 सीटें मिली थीं, यदि उसे इस बार 200 या उससे कम सीटें मिलीं तो वह भी मुश्किल में पड़ जाएगी।
2014 में उसे 282 सीटें मिली थीं। वह चाहती तो अकेले ही राज कर सकती थी लेकिन इस बारmodi मामला काफी टेढ़ा है। उसके सत्ता में रहते हुए भी वह 282 से खिसककर 272 पर आ गई तो अब आम चुनाव में उसका क्या हाल होगा ? उसे बहुमत तो मिलने से रहा। अल्पमतवाली भाजपा के नेता यदि नरेंद्र मोदी रहे तो उसके साथ गठबंधन बनाने के लिए कौन पार्टी तैयार होगी ? भाजपा और संघ के वरिष्ठ नेताओं को पटाना ही मुश्किल होगा, अन्य दलों की बात तो दूर की कौड़ी है।
इसीलिए भाजपा को अपने वैकल्पिक नेता के बारे में अभी से सोचना होगा। यही बात कांग्रेस पर भी लागू होती है। मोदी में जो कमी व्यक्ति के तौर पर है, वह कांग्रेस में पार्टी के तौर पर है। कांग्रेस विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होगी लेकिन अन्य पार्टियां उसके अहंकार को कैसे पचा पाएंगी ? यदि कांग्रेस चाहती है कि देश में नई सरकार बने तो उसे थोड़ा पीछे खिसककर बैठना होगा। विपक्ष में प्रधानमंत्री के ज्यादातर उम्मीदवार पुराने कांग्रेसी ही हैं। गठबंधन कोई भी बने, उसकी सफलता में अहंकार सबसे बड़ी बाधा सिद्ध होगा।
( वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं )