Opinion – शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर प्रसाद को एक मिसाल कायम करने के लिये बधाई

बिहार के अनेक बड़े नेता बोलते समय शालीनता की सीमा अक्सर लांघ रहे हैं। गाली गलौज की भाषा भी जमकर बोली जा रही है। लेकिन पटना साहिब इससे बचा हुआ है।

New Delhi, May 12 : चुनाव किस तरह लड़ना चाहिए, देश को यह पटना साहिब क्षेत्र से सीखना चाहिए। आज जब चुनाव प्रचार गाली-गलौज के दौर में पहुंच चुका है, वैसे में पटना साहिब का चुनाव प्रचार उम्मीद की किरण की तरह है। सभी प्रत्याशी स्पोर्ट्समैन स्पिरिट के साथ सभ्य और शालीन तरीके से अपना प्रचार कर रहे हैं। कोई कटुता नहीं, कोई उत्तेजना नहीं, कोई व्यक्तिगत या छिछले स्टार का आरोप-प्रत्यारोप नहीं। इसके लिए सभी प्रत्याशी बधाई के पात्र हैं।

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लेकिन इसका मुख्य श्रेय मौजूद सांसद और कांग्रेस प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा तथा बीजेपी प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को जाता है। मुख्य मुकाबला इन्ही दोनों के बीच है। उदात्त भावना का परिचय देते हुए पहले ही दिन दोनों ने एक दूसरे को अपना मित्र बताया और कहा कि व्यक्तिगत आलोचना नहीं करेंगे। प्रतिद्वंदी का नाम भी नहीं लेंगे। सिर्फ पार्टी और नीति की आलोचना होगी। दोनों इसका पालन भी कर रहे हैं।

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एक दूसरे का नाम लेने से भी परहेज कर रहे हैं। सच कहें तो यह एक विलक्षण चुनाव है। इससे दूसरे प्रत्याशियों को सीखने की जरूरत है। यह इसलिए संभव हुआ कि शत्रु और रवि दोनों सभ्य, संभ्रांत और पढ़े-लिखे, संस्कारी परिवार से आते हैं। किसी भी व्यक्ति का आचरण उसकी परवरिश, परिवेश और परिवार की जानकारी दे देता है। जो पटना साहिब के इन दोनों उम्मीदवारों के आचरण में झलकता है। जब नेता ठीक होगा तो कार्यकर्ता को ठीक होना ही है।

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हालांकि बिहार के अनेक बड़े नेता बोलते समय शालीनता की सीमा अक्सर लांघ रहे हैं। गाली गलौज की भाषा भी जमकर बोली जा रही है। लेकिन पटना साहिब इससे बचा हुआ है। दुर्भाग्य यह है कि गाली-गलौज मीडिया की हेडलाइन और चैनलों की ब्रेकिंग तो बन रहे हैं, लेकिन पटना साहिब का आदर्श चुनाव प्रचार सुर्खियां नहीं बन पा रहा। चुनाव आयोग को भी इस शालीन चुनाव की नोटिस लेनी चाहिए और यहां के उम्मीदवारों को सम्मानित करना चाहिए। शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर प्रसाद को एक मिशाल कायम करने के लिए बधाई और साधुवाद।

(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)