Opinion – जो लोग महिला को कमजोर मानते हैं, उनके लिए अमेठी का रिजल्ट एक सबक है

अमेठी से विजयी स्मृति ईरानी को व्यक्तिगत रूप से लांक्षित और अपमानित करने में कांग्रेस ने कोई कोर -कसर नहीं छोड़ी थी।

New Delhi, May 24 : अमेठी में राहुल गांधी की हार कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा आघात है। यह एक ऐसा घाव है जो हमेशा टीस देता रहेगा। जिस अमेठी को कांग्रेस का सबसे सुरक्षित किला माना जाता था,वहीं उसे मात मिलने के मायने बहुत बड़े हैं। जब घरवाले साथ छोड़ दें तो उसे फिर कहां ठौर मिलेगी ? कांग्रेस देश तो हारी ही ‘घर’ भी हार गई। यानी कांग्रेस के लिए अब कोई सुरक्षित सीट नहीं मानी जा सकती।

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अमेठी से विजयी स्मृति ईरानी को व्यक्तिगत रूप से लांक्षित और अपमानित करने में कांग्रेस ने कोई कोर -कसर नहीं छोड़ी थी। जनता ने इसका बदला ले लिया। हालांकि कांग्रेस के रणनीतिकारों को इस स्थिति का अंदाजा पहले ही लग चुका था। उन्हें अपनी पराजय का आभास हो गया था। इसी वजह से राहुल को अचानक केरल ले जाया गया।

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जो लोग महिला को कमजोर मानते हैं, उनके लिए अमेठी का रिजल्ट एक सबक है। यह सिर्फ BJP या स्मृति की जीत नहीं है ,बल्कि महिला शक्ति की भी जीत है। इसके लिए स्मृति ने अमेठी में कठोर परिश्रम किया।

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सरकार में होने का लाभ उठाते हुए विकास के कई कार्य करवाये। 2014 की हार से निराश होकर अमेठी को छोड़ा नहीं। लगातार वहां जाती रहीं। मानों उन्होंने ठान लिया था कि राहुल को हराना है। और वह कर दिखाया। जीत के बाद स्मृति ने ठीक ही ट्वीट किया -‘कौन कहता है कि आसमान में सुराख़ हो नहीं सकता।’ मां सोनिया गांधी, बहन प्रियंका वाड्रा और जीजा राबर्ट वाड्रा ने राहुल को जिताने के लिये पूरी ताकत लगा दी। लेकिन जनता ने फैसला कर लिया था। राहुल गांधी ने विनम्रता से हार स्वीकार की।अच्छा किया कि EVM की चर्चा नहीं की।राजनीति इतनी आसान भी नहीं होती। राहुल को अभी बहुत कुछ सिखने की जरुरत है।

 (वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)