करारी हार के बाद टूट सकती है लालू यादव की पार्टी, तेजस्वी पर उठ रहे हैं सवाल, वीडियो

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बिहार में राजद की अगुवाई में पांच दलों ने महागठबंधन किया था, हालांकि इसके बावजूद चुनाव में दुर्गति हो गई, 40 में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस जीत पाई।

New Delhi, May 29 : बिहार में लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली करारी हार का असर दिखने लगा है, जहां एक ओर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव अकेले पड़ते जा रहे हैं, वहीं अब उनके करीबी नेताओं ने भी उनके उत्तराधिकारी कहे जा रहे बेटे तेजस्वी यादव पर सवाल खड़े करने शुरु कर दिये हैं, राजद में पहली बार लालू परिवार के खिलाफ बगावत के सुर तेज होते जा रहे हैं।

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करीबी ने उठाये सवाल
लालू यादव के करीबी और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने मंगलवार को ये कहकर सनसनी मचा दी, कि तेजस्वी और तेज प्रताप की आपसी लड़ाई का नुकसान पार्टी को इस चुनाव में उठाना पड़ा, इसके साथ ही उन्होने ये भी कहा कि तेजस्वी अभी परिपक्व नहीं हैं, सवर्ण आरक्षण का विरोध नहीं करना चाहिये था, पार्टी लालू प्रसाद को मिस कर रही है, आपको बता दें कि इस चुनाव में राजद का खाता तक नहीं खुला।

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महागठबंधन की दुर्गति
आपको बता दें कि बिहार में राजद की अगुवाई में पांच दलों ने महागठबंधन किया था, हालांकि इसके बावजूद चुनाव में दुर्गति हो गई, 40 में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस जीत पाई, बाकी 39 सीटों पर नीतीश-मोदी और रामविलास की पार्टी जीती। राबड़ी देवी के आवास पर हुई समीक्षा बैठक से पहले ही रघुवंश बाबू ने स्पष्ट कह दिया, कि तेजस्वी और तेज प्रताप की लड़ाई में पार्टी का बंटाधार हो गया।

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तेज प्रताप के खिलाफ कार्रवाई
इतना ही नहीं रघुवंश बाबू ने लालू के बड़े बेटे तेज प्रतार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, उन्होने कहा कि तेज प्रताप की वजह से काफी नुकसान हुआ, मालूम हो कि रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली से चुनावी मैदान में थे, उन्हें लोजपा की वीणा देवी ने बड़े अंतर से हराया। पहली बार पार्टी के भीतर से लालू परिवार के खिलाफ आवाज उठने लगी है, बीते दिन विधायक महेश्वर प्रसाद ने तेजस्वी का इस्तीफा मांगा था, तो जहानाबाद से प्रत्याशी ने तेज प्रताप को अपनी हार के लिये जिम्मेदार बताया।

पार्टी छोड़ दें
लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप ने तेजस्वी का खुलकर समर्थन किया है, उन्होने ट्विटर पर लिखा है, कि जिन लोगों को तेजस्वी का नेतृत्व पसंद नहीं है, वह पार्टी और महागठबंधन छोड़ कर जा सकते हैं। आपको बता दें कि इससे पहले भी तेज प्रताप पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को असहज कर चुके हैं, उन्होने प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे और दूसरे नेताओं के खिलाफ खुलकर बयानबाजी की थी, हालांकि इसके बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।