राधा मोहन सिंह और रामकृपाल यादव को क्यों नहीं मिली टीम मोदी में जगह, ये है अंदर की बात

रामकृपाल यादव की जगह नित्यानंद राय को कैबिनेट में स्थान दिया गया है, दरअसल राजनीतिक दृष्टिकोण से नित्यानंद राय ने रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा को हराया, जिनका कद बड़ा था।

New Delhi, May 31 : नरेन्द्र मोदी ने बीती शाम दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली, उनके साथ कुल 58 मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली, हालांकि इस बार उनके मंत्रिमंडल में कई चेहरे बदल गये, पिछली सरकार के 22 मंत्रियों को इस बार ड्रॉप किया गया है, जिसमें बिहार से भी दो दिग्गज शामिल हैं, पहली सरकार में कृषि मंत्रालय संभालने वाले राधा मोहन सिंह और केन्द्रीय राज्यमंत्री रामकृपाल यादव को इस बार टीम मोदी में जगह नहीं दी गई है।

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पिछली सरकार में कृषि मंत्री
आपको बता दें कि राधा मोहन सिंह मोतिहारी-पूर्वी चंपारण से 6ठीं बार सांसद चुने गये हैं, हालांकि कृषि मंत्रालय में उनके सहयोगी मंत्री रहे, गजेन्द्र सिंह शेखावत को कैबिनेट में जगह दी गई है, लेकिन इस बार राधा मोहन सिंह को ड्रॉप किया गया है, कहा जा रहा है कि इसके पीछे उनका पिछला परफॉरमेंस एक बड़ी वजह हो सकती है।

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क्यों नहीं मिला टीम मोदी में स्थान
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक पिछली सरकार में राधा मोहन सिंह कृषि मंत्रालय संभाल रहे थे, हालांकि उनका प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं था, इस वजह से विपक्ष ने कई बार मोदी सरकार पर हमला किया, किसानों को मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश की, शायद इसी वजह से राधा मोहन सिंह इस बार टीम मोदी में शामिल नहीं हो सके।

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रामकृपाल क्यों बाहर
मोदी सरकार वन में मंत्री रहे रामकृपाल यादव को भी इस बार जगह नहीं दी गई है, आपको बता दें रामकृपाल साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं, वो बेहद जमीनी और जनाधार वाले नेता माने जाते हैं, एक दौर में वो लालू प्रसाद के बेहद खासमखास थे, हालांकि बाद में उन्होने लालू का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया, पिछली बार और इस बार भी उन्होने लालू की बेटी मीसा भारती को चुनाव में हराया है।

ये हो सकता है वजह
कहा जा रहा है कि रामकृपाल यादव की जगह नित्यानंद राय को कैबिनेट में स्थान दिया गया है, दरअसल राजनीतिक दृष्टिकोण से नित्यानंद राय ने रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा को हराया, जिनका कद बड़ा था, इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष के रुप में भी उन्होने एनडीए के दलों के साथ बेहतर तालमेल रखा, जिसका इनाम उन्हें दिया गया, रामकृपाल और नित्यानंद एक ही समुदाय से आते हैं, इसलिये दोनों में से एक को ही जगह दी जा सकी।