बेरोजगारी को लेकर विपक्ष ने खूब घेरा था, मोदी सरकार ने आते ही कर दिया बड़ा काम, अब नौकरी ही नौकरी

आर्थिक संकट और बेरोजगारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अपने मंत्रियों को काम पर लगा दिया है । मंत्रियों के दो पैनल बनाकर सुझाव माना गया है ।

New Delhi, Jun 06 : लोकसभा चुनाव 2019 में बेरोजगारी विपक्ष का एक अहम मुद्दा रहा, हालांकि इसे जनता के बीच भुनाया नहीं जा सका । आंकड़ों पर गौर करें तो देश में आर्थिक संकट और बेरोजगारी की समस्‍या कुछ हद तक है, जिसे लेकर मोदी सरकार सत्‍ता में लौटते ही काम पर लग गई है । सरकार ने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही वित्तीय संकट और बेरोजगारी सरीखी अहम चुनौतियों से निपटने की योजना बनाने की ओर काम करना शुरू कर दिया । बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में 15 मंत्रियों के दो कैबिनेट पैनल बनाए गए हैं ।

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मांगे गए सुझाव
प्रधानमात्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई इस बैठक में बनाए गए इन दो पैनलों में 15 कैबिनेटमंत्रियों को शामिल किया गया है  । इस पैनल से देश में आर्थिक विकास, निवेश और नौकरियों के सृजन के मसले पर सुझाव मांगे जाएंगे । समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से मिली जानकारी के अनुसार दोनों कैबिनेट कमेटियों में पहले निवेश और विकास के मोर्चे पर काम किया जाएगा । इन समितियों का हिस्‍सा गृह मंत्री अमित शाह से लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परविहन और राज मार्ग मंत्री नितिन गडकरी और रेल मंत्री पीयूष गोयल तक होंगे ।

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रोजगार पर देंगे ध्‍यान
वहीं 10 सदस्यों वाली दूसरी कमेटी रोजगार और कौशल विकास पर फोकस करेगी । इस समिति में भी अमित शाह, सीतारमण, गोयल की मौजूदगी रहेगी, इनके अलावा केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण, ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कौशल व उद्यम मंत्री महेंद्र नाथ पांडे और श्रम राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार के साथ आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी इसमें शामिल होंगे ।

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जीडीपी गिरने के कारण बढ़ी चिंता
नई सरकार के लिए आते ही अर्थव्यवस्था को लेकर ये फैसले लेने इसलिए भी जरूरी थे क्‍योंकि 2018-19 की आखिरी तिमाही में जीडीपी गिरकर 5.8 फीसदी पर आ पहुंची । जबकि बीते वित्त वर्ष की बात करें तो ये 7.2 फीसदी के लक्ष्य के साथ 6.8 प्रतिशत बनी रही थी । इसी तरह रोजगार के बारे में आए आंकडें चुनाव के कुछ दिन बाद ही पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे द्वारा सामने आए थे, सर्वे की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया था कि देश में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत के बीच रही है जो कि पिछले 45 सालों में सबसे ज्‍यादा है ।