बीजेपी से अलग होने के लिये बहाने ढूंढ रहे हैं नीतीश कुमार, प्रशांत किशोर को लेकर कही ये बात

मोदी-शाह नीतीश कुमार की बातों को ना तो ज्यादा गंभीरता से लेते हैं और ना खास तवज्जो देते हैं, इसलिये भी नीतीश उनके साथ सहज नहीं दिखते।

New Delhi, Jun 09 : जदयू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की कंपनी आई-पैक अब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को अपनी सेवा देने जा रही है, ये भी एक तथ्य है कि ये फैसला लेने से पहले पीके ने नीतीश कुमार से दो बार मुलाकात की थी, अब जिस तरह से जदयू महासचिव केसी त्यागी ने पीके के फैसले का बचाव किया है, उससे जाहिर है कि नीतीश ने शायद उन्हें परमिशन दी होगी, हालांकि नीतीश ने कहा है कि इस पर जवाब खुद प्रशांत देंगे, लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि क्या जदयू अपनी ही पार्टी के नेता को बीजेपी के खिलाफ रणनीति बनाने के लिये क्यों आगे कर रही है।

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बीजेपी पर दबाव बनाने की रणनीति
मोदी कैबिनेट से अलग रहने के जदयू के फैसले के बाद प्रशांत किशोर को ममता बनर्जी के साथ भेजने का फैसला क्या नीतीश कुमार का बदला है, या फिर बीजेपी पर दबाव बनाने की रणनीति, या फिर नीतीश फिर पलटी मारने की तैयारी कर रहे हैं, क्या वो बीजेपी से अलग होना चाहते हैं। राजनीतिक एक्सपर्ट के मुताबिक नीतीश ने ये फैसला काफी सोच-समझकर लिया है, ये तय है कि वो आज नहीं तो कल बीजेपी से अलग होंगे, क्योंकि वो मोदी-शाह की जोड़ी के साथ सहज नहीं लगते, अब देखना है कि वो इसके लिये कितना इंतजार कराते हैं।

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वेट एंड वॉच
फिलहाल सुशासन बाबू वेट एंड वॉच की नीति पर चल रहे हैं, उन्हें लग रहा है कि आने वाले दिनों में बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी राजनीतिक ताकत अधिक कारगर साबित हो सकती है। मोदी कैबिनेट से दूर रहते हुए जीतन राम मांझी से नजदीकियां बढाकर उन्होने संकेत दे दिये हैं, इसके साथ ही राजग से ऑफर ने ये भी साफ कर दिया है कि नीतीश बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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एक और चांस
बिहार की राजनीति पर नजर रखने वालों के मुताबिक 2014 में अकेले लड़ने से नीतीश को अपनी ताकत का एहसास हो चुका है, फिर 2015 में लालू के साथ मिलकर उन्होने बीजेपी को धूल चटा दी थी, ऐसे में नीतीश एक और चांस ले सकते हैं। दरअसल नीतीश को भी मालूम है कि वर्तमान मोदी सरकार कश्मीर में अनुच्छेद 370 , 35ए और राम मंदिर निर्माण जैसे मुद्दों से पीछे नहीं हटने वाली है, ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर मोदी सरकार इस राह चलती है, तो सुशासन बाबू अलग राह पकड़ सकते हैं।

बीजेपी नहीं दे रही तवज्जो
एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि फिलहाल मोदी-शाह नीतीश की बातों को ना तो ज्यादा गंभीरता से लेते हैं और ना खास तवज्जो देते हैं, इसलिये भी नीतीश उनके साथ सहज नहीं दिखते, मोदी कैबिनेट में उपेक्षित नीतीश की नजर अब विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर टिकी है, कहा जा रहा है कि मनमुटाव अगर तल्खी में बदली, तो सुशासन बाबू एक और चांस ले सकते हैं।