Opinion – इन्दिरा गांधी सब की प्रिय थीं!
इमरजेंसी से नफरत नहीं हुई, लेकिन अफसरशाही ने जिस तरह से आम लोगों को प्रताड़ित किया, अभिव्यक्ति के हर माध्यम पर निशाना साधा, उसके कारण लोग नाराज़ हो गए।
New Delhi, Jul 30 : कल एक टीवी डिबेट में जाने के पूर्व जब हम स्टूडियो से बुलावे के इंतज़ार में थे, तब ही युवा पत्रकार गुंजा कपूर ने हम सब डिबेट में आए लोगों से एक सवाल पूछा, कि आप लोग यह बताइए, कि इन्दिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी, इसके बावजूद पब्लिक उनसे नाखुश कभी नहीं रही। इसका जवाब देना आसान नहीं था। उस समय मेरी उम्र के ज़्यादातर लोग तब यूनिवर्सिटी में आ चुके थे। और हम इमरजेंसी के विरुद्ध लड़ रहे थे। लेकिन इन्दिरा गांधी के प्रति न हमारे मन में नफरत थी और न ही कांग्रेसी उनके ‘भक्त’ थे।
मगर आज एक तरफ तो मोदी के नाम से ही बल्लियों उछल जाने वाले बुद्धिजीवी, विचारक और नेता हैं अथवा वे हैं, जो मोदी अगर रात को दिन कहें तो फौरन कह देंगे, कि जी, सूरज खूब चमक रहा है। कभी सोचिए, ऐसा क्यों हुआ? यह राजनैतिक पतन है, वैचारिक पतन है, या विकल्पहीनता! मुझे लगता है, कि एक तो इन्दिरा गांधी में आत्म-बल था। उनको इमरजेंसी लगाते वक़्त भी लगा था, कि वे जो कर रही हैं, सही कर रही हैं। उनकी सोच के दायरे में देश का गरीब आदमी कहीं न कहीं मौजूद रहता था। इसीलिए इमरजेंसी से नफरत नहीं हुई, लेकिन अफसरशाही ने जिस तरह से आम लोगों को प्रताड़ित किया, अभिव्यक्ति के हर माध्यम पर निशाना साधा, उसके कारण लोग नाराज़ हो गए।
इसके अलावा जबरिया नसबंदी का जैसा अभियान अफसरों ने चलाया, उससे भी लोग नाराज़ हुए। यही कारण रहा, कि उत्तर और मध्य भारत में भले इन्दिरा गांधी की कांग्रेस साफ हुई हो, किन्तु दक्षिण भारत ने उन्हें 146 सीटें लोकसभा में दिलाई थीं। इसके अलावा इन्दिरा गांधी निजी जीवन में दोहरा चरित्र नहीं रखती थीं। वे कोई दिखावा नहीं करती थीं। आम लोगों के बीच घुल-मिल जाया करती थीं। उनके आसपास कोई चंडाल-चौकड़ी नहीं थी और न ही वे फालतू की ‘शो’बाज़ी करती थीं। जिस टाइगर-प्रोजेक्ट के लिए नरेंद्र मोदी ने बेयर ग्रिल्स को जिम कार्बेट बुलाकर कई लाख/करोड़ फूंके, वह टाइगर प्रोजेक्ट इन्दिरा गांधी की देन है।
वे जो कोई काम करती थीं, उसका ढिंढोरा नहीं पीटती थीं। वे लाखों के सूट नहीं पहनती थीं, न कभी कैमरामैंस को बुलाकर पोज देती थीं। योग वह भी करती थीं, पर क्या मजाल, कि कोई इस बात का प्रचार हो। वे जब भी दौरे पर जातीं, सरकारी रेस्ट हाउसेज में ही ठहरतीं। कोई ताम-झाम नहीं। वे खुली जीप पर ही चलतीं। कोई सुरक्षा नहीं। अपने विरोधियों के स्वास्थ्य और उनके परिवार की भी चिंता करतीं। और कभी भी यह नहीं बतातीं, कि ये मेरे विरोधी जॉर्ज फर्नांडीज़ मेरे लिए कर्नाटक का मैसूर पाक भेजते हैं, या अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से मिठाई। इसीलिए इन्दिरा गांधी सब की प्रिय थीं।
(वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ शुक्ल के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)