जेपी आंदोलन का हिस्सा थी सुषमा स्वराज, इंदिरा से लेकर सोनिया गांधी तक को दी सीधी चुनौती

इंदिरा गांधी के इमरजेंसी के खिलाफ सुषमा स्वराज खुलकर इसका विरोध कर रही थी, इंदिरा गांधी ही नहीं बल्कि उनकी बहू सोनिया गांधी से भी सुषमा लोहा लेती रही।

New Delhi, Aug 07 :  अपने ओजस्वी भाषण से लोगों का मन मोह लेने वाली सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनके गुजर जाने से भारतीय राजनीति में एक शून्यता आ गई है, हरियाणा के अंबाला के सनातन धर्म कॉलेज से पढाई के दौरान ही सुषमा का राजनीति में रुझान दिखने लगा था, वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गई थी, लेकिन उनके तेवर आपातकाल के दौरान खुलकर सामने आये, जब वो जेपी आंदोलन का हिस्सा बनीं थी।

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आपातकाल का विरोध
इंदिरा गांधी के इमरजेंसी के खिलाफ सुषमा स्वराज खुलकर इसका विरोध कर रही थी, इंदिरा गांधी ही नहीं बल्कि उनकी बहू सोनिया गांधी से भी सुषमा लोहा लेती रही, सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिये वो कर्नाटक के बेल्लारी पहुंच गई थी, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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कन्नड़ में भाषण
सुषमा स्वराज को कभी बदलावों से डर नहीं लगा, बल्कि उसे सहज भाव से स्वीकार किया, बेल्लारी में चुनाव अभियान के दौरान वो कन्नड़ में भाषण दिया करती थी, सुषमा स्वराज का राजनैतिक उपलब्धियों की सूची लंबी है, वो आम लोगों के बीच काफी लोकप्रिय थी।

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वकील के रुप में करियर शुरु
पूर्व मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में बतौर एडवोकेट अपने करियर की शुरुआत की थी, इसके बाद उन्होने कभी पलट कर नहीं देखा, साल 1975 में उन्होने वकील स्वराज कौशल से शादी की, दोनों का जोड़ शानदार रहा, कौशल के नाम भी कई उपलब्धियां दर्ज है, वो राज्यसभा सांसद भी रहे, दोनों की एक बेटी बांसुरी है, जो लंदन में वकालत कर रही है।