धारा 370 पर संयुक्‍त राष्‍ट्र से खाली हाथ लौटा पाकिस्‍तान, विश्‍व मंच पर हो गई किरकिरी

धारा 370 को लेकर दर-दर भटक रहा पाकिस्‍तान संयुक्‍त राष्‍ट्र भी पहुंच गया । लेकिन उसके हाथ लगी सिर्फ मायूसी, बेबसी, मुठ्ठी भर देशों का समर्थन भी जुटाने में नाकामयाब रहा पाकिस्‍तान ।

New Delhi, Aug 16: भारत की मोदी सरकार ने कश्‍मीर में धारा 370 को खत्‍म करने का बड़ा फैसला कर दुनिया भर को ये संदेश पहुंचा दिया कि कश्‍मीर हमारा था और हमारा ही रहेगा, इसे लेकर जो भी मसले हैं वो भारत खुद निपटाने में सक्षम है । भारत सरकार के इस कदम पर दुनिया में किसी देश्‍ ने उंगली नहीं उठाई सिवाए एक के, पाकिस्‍तान, जी हां कश्‍मीर से धारा 370 का हटना उतना कश्‍मीरियों को भी परेशान नहीं कर रहा जितना पाकिस्‍तान इसके बाद से रो रहा है ।

Advertisement

विश्‍व मंच पर नहीं टिकी दलील
कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्‍तान असमंजस में है । भारत को गीदड़ भभकी देना जारी है साथ हीदुनिया के दर पर दरवाजे खटखटाना भी । कई देशों से खाली हाथ लौट चुके पाकिस्‍तान ने विश्‍व बिरादरी के सामने भी 370 का रोना रोया । लेकिन उसकी एक भी दलील नहीं टिकी । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगभग सभी देशों ने उसे बैरंग लौटा दिया । महज चीन अकेला ऐसा देश है जो अब तक उसका रोना सुन रहा है, वो भी शायद इसलिए ही क्‍योंकि चीन का बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है ।

Advertisement

48 सालों में कश्‍मीर पर दूसरी बैठक
संयुक्त राष्ट्र में चीन द्वारा पाकिस्‍तान की फथ्‍रयाद सुने जाने की अपील के बाद यूएन इस मुद्दे पर बैठक को तैयार हुआ है । संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब कश्मीर मुद्दे पर कोई बैठक होने जा रही है । 1971 में हुई पहली बैठक से ये बैठक काफी अलग है । यूएनएससी में 1969-71 में ‘सिचुएशन इन द इंडिया/पाकिस्तान सबकॉन्टिनेंट’ विषय के तहत कश्मीर का मुद्दा उठाया गया था । आपको बता दें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में कुल 15 सदस्य हैं, जिनमें 5 स्थाई और 10 अस्थाई हैं । स्थाई सदस्यों में अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल हैं । जबकि अस्थाई देशों में बेल्जियम, कोट डीवोएर, डोमिनिक रिपब्लिक, इक्वेटोरियल गुएनी, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरू, पोलैंड और साउथ अफ्रीका जैसे देश हैं ।

Advertisement

आंतरिक मामले में हस्‍तक्षेप नहीं करना चाहते
स्थाई सदस्यों में चीन को छोड़ दें तो बाकी के देशों-फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ने पाकिस्ता न को ठेंगा दिखा दिया है । इनका स्पष्ट कहना है कि कश्मीर मुद्दा हिंदुस्तान और पाकिस्तान का आंतरिक मसला है, इसलिए दोनों देश मिलकर निपटें, किसी तीसरे पक्ष की इसमें दरकार नहीं । लेकिन चीन की मजबूरी है कि वो चाहकर भी पाकिस्‍तान का मना नहीं कर सकता । जानकारों के मुतबिक चीन के सामने बड़ी मजबूरी बेल्ट रोड इनीशिएटिव है जिसका बड़ा हिस्सा पाकिस्तान से होकर गुजर रहा है ।

अस्थाई सदस्यों भी पाकिस्‍तान के साथ नहीं
वहीं 10 अस्थाई देशों में पोलैंड ही अकेला राष्ट्र है जो पाकिस्तान के साथ खड़ा है, ये भी उसकी राजनयिक मजबूरी है । पोलैंड ने अब तक भारत और पाकिस्तान के इस विवाद से खुद को काफी दूर रखा है, लेकिन पोलैंड चूंकि इस वक्त यूएनएससी का रोटेटिंग प्रेसिडेंट है, इसलिए उसके सामने बैठक कराना ही अंतिम विकल्प है । हालांकि इसका अर्थ यह बिलकुल नहीं है कि पोलैंड कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ है । वह बस अस्थाई देशों की ओर से बैठक की मेजबानी कर रहा है ।