जन्‍माष्‍टमी की Date को लेकर कंफ्यूजन, यहां पढ़ें सबसे सटीक जानकारी, पूजा विधि और खास मुहूर्त भी

जन्माष्टमी की तिथि को लेकर उलझन है, 23 को है या 24 को, अगर आप भी इन सवालों में उलझे हैं तो आगे पढ़ें पूरी जानकारी डीटेल में है । साथ ही जानिए विशेरूा मुहूर्त और पूजा विधि ।

New Delhi, Aug 21: जन्माष्टमी के व्रत को लेकर इस बार भी दुविधा बनी हुई है । व्रत 23 अगस्त शुक्रवार को होगा या फिर 24 अगस्त शनिवार को करना सही रहेगा । ये सवाल सभी भक्त जनों के मन में है । इस दुविधा की एक बड़ी वजह ये है कि कि अष्टमी तिथि का आरंभ 23 तारीख को सुबह 8 बजकर 9 मिनट पर हो रहा है जबकि रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 24 तारीख की सुबह 3 बजकर 48 मिनट पर हो रहा है। जानकारों के अनुसार रोहिणी नक्षत्र व्यापिनी अष्टमी तिथि को ही जन्माष्टमी व्रत करना श्रेष्ठ माना जाता है ।

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आधी रात में हुआ था श्री कृष्‍ण का जन्‍म
श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्‍णु के अवतार श्रीकृष्ण का जन्‍म  भाद्रपद कृष्ण अष्टमीतिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र और चंद्र के वृष राशि में संचार के दौरान आधी रात को हुआ था । हर वर्ष इसी संयोग में जनमाष्‍अमी मनाई जाती है, लेकिन जानकारों के अनुसार ऐसा संयोग इस साल नहीं बन रहा है। शास्त्र के जानकारों ने इस तरह की स्थिति में व्रत पूजन को लेकर कहा है कि जिस दिन मध्य रात्रि में अष्टमी तिथि होती है उसी दिन जन्माष्टमी का व्रत रखा जाता है। यानी 23 अगस्‍त को जन्‍माष्‍टमी का व्रत रखा जाएगा और मध्‍यरात्रि में कृष्‍ण के जन्‍म का उत्‍सव होगा ।

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मथुरा में 24 को मनेगी जन्‍माष्‍टमी
बात करें मथुरा नगरी की तो भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यहां नवमी को मनाया जाता है। यहां पर अष्टमी व्यापिनी नवमी के दिन व्रत पूजन की परंपरा रही है। मथुरा वृंदावन में 24 अगस्त को व्रत पूजन किया जाएगा। जन्‍माष्‍टमी पर मथुरा और वृंदावन की रंगत ही अलग होती है, इस दौरान यहां जाने वाले भक्‍त जन खुद को बहुत ही भाग्‍यशाली समझते हैं और कृष्‍ण जन्‍म से जुड़ी लीलाओं को आनंद उठाते हैं ।

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कृष्ण जन्माष्टमी का मुहूर्त
शास्‍त्र जानकारों के अनुसार इस बार जन्‍माष्‍टमी का विशेष मुहूर्त इस प्रकार होगा ।
अष्टमी तिथि का आरंभ 23 अगस्त 8बजकर 9मिनट
अष्टमी तिथि समाप्त 24 अगस्त 8 बजकर 32 मिनट
जन्माष्टमी पूजन मुहूर्त 23 अगस्त निशीथ काल रात 12 बजकर 2 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा । इसी समय रात में भगवान के बाल रूप की पूजा, झूला झुलाना, चंद्रमा को अर्घ्य देना और जागरण करना सब प्रकार से शास्त्र सम्मत है।
भगवान श्री कृष्‍ण को इस दिन माखन का भोग अवश्‍य लगाएं, घर में जो भी मीठा बन सके वो बनाएं उसमें तुलसी रखें और नंदलला को अर्पित करें । आपकी सभी दुख दूर होंगे ।