8 साल तक रहे साथ लेकिन नहीं हुई शादी, लड़की दुष्‍कर्म की शिकायत लेकर पहुंची SC, फिर आया ऐसा फैसला

पहले सहमति से संबंध बनाना, ये जानना कि शादी में मुश्किल होगी, बावजूद इसके लड़के के साथ रहना और जब शादी ना हो तो अदालत का दरवाजा खटखटाना, संभल जाइए क्‍योंकि कोर्ट अब इन दलीलों को खारिज कर सकती है ।

New Delhi, Aug 22: सुप्रीम कोर्ट ने दुष्‍कर्म के आरोप के एक मामले में एतिहासिक फैसला सुनाया है । सीआरपीएफ के डेप्युटी कमांडेंट के ऊपर लगाए गए दुष्‍कर्म के आरोप वाले केस में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अहम टिप्‍पणी की । अदालत ने सीआरपीएफ पर्सनल को आरोपमुक्‍त करते हुए कहा कि लड़की पहले से जानती थी कि उनकी शादी में मुश्किल आएगी, बावजूद इसके वो युवक के साथ रही और आपसी सहमति से संबंध बनाए । ऐसे में इसे दुष्‍कर्म नहीं माना जा सकता । इस स्थिति को शादी का झूठा वादा कर रेप करना नहीं कह सकते।

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‘आपसी सहमति से बने संबंध’
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने सेल्स टैक्स में असिस्टेंट कमिश्नर महिला की याचिका को उपरोक्‍त आधार पर खारिज कर दिया । 2 जजों की बेंच ने महिला की ओर से सीआरपीएफ में डेप्युटी कमांडेंट के ऊपर लगाए दुष्‍कर्म के आरोपों को भी खारिज कर दिया । अदालत ने कहा कि दोनों सहमति से 8 साल से अधिक वक्त तक रिलेशनशिप में थे । इस दौरान ये कई बार एक दूसरे के घर पर भी रुके । जाहिर है कि संबंध जबरदस्‍ती से नहीं आपसी सहमति से बने ।

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युवक को 1998 से जानती है महिला
अदालत में बताया गया कि महिला और पुरुष एक दूसरे को 8 सालों से जानते हैं । महिला ने कहाकि वो पुरुष को 1998 से जानती है, उनका आरोप है कि 2008 में शादी का वादा कर अधिकारी ने जबरन संबंध बनाए । इसके बाद अगले 8 सालों तक यानी 2016 तक दोनों के बीच संबंध रहे । इस दौरान वो कई बार एक दूसरे के घर पर भी रुके । शिकायतकर्ता महिला ने कहा कि ‘2014 में अधिकारी ने महिला की जाति के आधार पर शादी करने में असमर्थता जताई। इसके बाद भी दोनों के बीच 2016 तक संबंध रहे।’ 2016 में उसने तब शिकायत दर्ज कराई जब उसे उसकी किसी अन्य महिला के साथ सगाई के बारे में सूचना मिली थी।

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बेंच का एतिहासिक आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि ‘अगर शादी का झूठा वादा कर किसी शख्स का इरादा महिला का भरोसा जीतना है। झूठे वादे कर महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाने में और आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाने को लेकर गलत धारणा है। कोर्ट ने ये भी माना कि महिला जानती थी कि शादी में कई किस्म की अड़चनें हैं। वह पूरी तरह से परिस्थितियों से अवगत थीं। बावजूद इसके वो पुरुष के साथ बनी रहीं, ये आपसी सहमति का मामला है । इसमें किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता ।