शाहबानो मुद्दे पर राजीव गांधी सरकार से दिया था इस्तीफा, अब मिली बड़ी जिम्मेदारी

आरिफ मोहम्मद चर्चा में तब आये, जब उन्होने 1986 में शाहबानो मामले में राजीव गांधी और कांग्रेस के रुख से नाराज होकर पार्टी और मंत्री पद छोड़ दिया था।

New Delhi, Sep 01 : पूर्व पीएम राजीव गांधी सरकार में गृह राज्यमंत्री रहे पूर्व कांग्रेस नेता आरिफ मोहम्मद खान को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया है, आरिफ मोहम्मद खान केरल में पूर्व चीफ जस्टिस पी सदाशिवम की जगह लेंगे, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के ऑफिस ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्रा अब राजस्थान के राज्यपाल होंगे, वहीं कलराज मिश्रा की जगह बंडारु दत्तात्रेय को हिमाचल का राज्यपाल बनाया गया है, इसके अलावा भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र और तमिलसाई सौंद्राराजन को तेलंगाना का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।

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कौन हैं आरिफ मोहम्मद खान
यूपी के बुलंदशहर में साल 1951 में पैदा हुए आरिफ मोहम्मद खान का परिवार बाराबस्ती से ताल्लुक रखता है, बुलंदशहर जिले में 12 गांवों को मिलाकर बने इस इलाके में शुरुआती जीवन बिताने के बाद आरिफ मोहम्मद ने दिल्ली के जामिया मिलिया से पढाई की, इसके बाद अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय और लखनऊ के शिया कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की ।

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26 साल की उम्र में पहली बार विधायक
छात्र जीवन से ही आरिफ मोहम्मद खान राजनीति से जुड़ गये थे, भारतीय क्रांति दल के टिकट पर पहली बार वो बुलंदशहर के सियाना सीट से चुनावी मैदान में उतरे, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन कुछ ही महीने बाद 26 साल की उम्र में 1977 में वो पहली बार विधायक चुने गये।

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मंत्री पद छोड़ दिया था
आरिफ मोहम्मद चर्चा में तब आये, जब उन्होने 1986 में शाहबानो मामले में राजीव गांधी और कांग्रेस के रुख से नाराज होकर पार्टी और मंत्री पद छोड़ दिया था, राजीव गांधी सरकार में गृह राज्यमंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान ने शाह बानो के पक्ष में पैरवी की थी, 23 अगस्त 1985 को लोकसभा में दिया गया उनका भाषण यादगार और मशहूर हो गया था ।

क्या था शाह बानो केस ?
दरअसल 1978 में पेशे से वकील अहमद खान ने अपनी पहली पत्नी शाह बानो को तीन तलाक दे दिया था, शाह बानो समान नागरिक संहिता की दलील देकर गुजारा भत्ता मांगने के लिये अपने पति के खिलाफ कोर्ट पहुंच गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने भी शाह बानो के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन सालों चली इस कानूनी लड़ाई के बीच इस केस पर बहस की वजह से मुस्लिम समाज तीन तलाक और मुस्लिम महिला के कोर्ट में जाने के खिलाफ आंदोलित हुआ था।