अगले महीने मिलेंगे मोदी और जिनपिंग, मुलाकात से पाकिस्तान को डर क्यों ? इस मुद्दे पर चर्चा
उन्होंने आगे कहा – ”मुझे नहीं लगता कि बातचीत का असली मुद्दा कश्मीर होगा. बेहतर होगा कि दोनों नेताओं को बातचीत के लिए छोड़ दिया जाए।”
New Delhi, Sep 18: पाकिस्तान को अब चीन का भी सहारा नहीं रहा । बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में पीएम नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की एक अनौपचारिक मुलाकात हो सकती है, जिसमें कई अहम मुद्दों पर बात हो सकती है । लेकिन ये साफ है कि चीन भारत से कश्मीर मुद्दे पर कोई बात नहीं करेगा, ना ही पाकिस्तान की ओर से कोई सवाल करेगा । जिनपिंग और मोदी, भारत और चीन के बीच रिश्ते पर बातचीत करेंगे साथ ही व्यापार आदि मसलों पर भी चर्चा होगी ।
पाकिस्तान की बौखलाहट
कश्मीर पर भारत के रुख और फैसले के बाद से पाकिस्तान लगातार परेशान नजर आ रहा है । वो अंतर्राष्ट्रीय मंच पर आवाज उठाकर अब खीज चुका है, कश्मीर मुद्दे पर उसे किसी का साथ नहीं मिला । भारत के खिलाफ जो भी जहर वो घोलने की कोशिश में था उसे उसका कोई फल नहीं मिला । एक देश चीन ही ऐसा था जिस पर उसे उम्मीद थी, लेकिन अब ऐसे हालात बन रहे हैं जिन्हें देखकर कहा जा सकता है कि इमरान खन को अब चीन ने भी झटक दिया है ।
मोदी – जिनपिंग मुलाकात
बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एकअनौपचारिक सम्मेलन में मिलने वाले हैं । जहां दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर बात होगी, हालांकि ये बात साफ नहीं है कि दोनों नेता किस-किस मुद्दे पर बात करना चाहेंगे । लेकिन सीनियर अधिकारियों के मुताबिक दोनों नेताओं में कश्मीर को लेकर कोई बातचीत नहीं होगी । दोनों नेता अगले महीने मिलने वाले हैं ।
चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता का बयान
चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा – ”मुझे नहीं लगता कि बातचीत के एजेंडे में कश्मीर शामिल होगा । इस तरह के अनौपचारिक सम्मेलन में ये दोनों नेताओं पर निर्भर करता है कि वो किन मुद्दों पर चर्चा करते हैं।” हुआ के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच बातचीत के लिए कश्मीर बड़ा मुद्दा नहीं हो सकता है । उन्होंने आगे कहा – ”मुझे नहीं लगता कि बातचीत का असली मुद्दा कश्मीर होगा. बेहतर होगा कि दोनों नेताओं को बातचीत के लिए छोड़ दिया जाए।”आपको बता दें कि पिछले दिनों चीन ने पाकिस्तान के साथ मिल कर कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में उठाया था, लेकिन दोनों देशों की बात यहां भी नहीं सुनी गई थी ।