Opinion – मोदी ने आज फिर साबित किया कि हिंदी , वैश्विक भाषा है

आप करते रहिए तीन-तिकड़म और कुढ़ कर , खीझ कर बताते रहिए कि ट्रंप ने मोदी का इस्तेमाल किया है अपने चुनाव खातिर।

New Delhi, Sep 24 : आप गरियाते रहिए नरेंद्र मोदी को। करते रहिए नफ़रत और कुढ़ते रहिए। आज उस ने 50 हज़ार भारतीयों के बीच दुनिया की महाशक्ति अमरीका में ही , अमरीका के राष्ट्रपति ट्रंप को बच्चों की तरह सामने बैठा कर हिंदी में अपना भाषण सुना दिया। और ट्रंप लगातार ताली बजाते रहे। भाकपा महासचिव और ###! डी राजा भले कहता फिरे कि हिंदी , हिंदुत्व की भाषा है।

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पर मोदी ने आज फिर साबित किया कि हिंदी , वैश्विक भाषा है , विश्व बंधुत्व की भाषा है। भारत में कुछ अराजक अकसर कहते रहते हैं कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता। लेकिन इसी सभा में ट्रंप ने साफ़ बता दिया कि इस्लामिक आतंकवाद से भारत और अमरीका साथ-साथ लड़ेंगे। बिना नाम लिए मोदी ने पाकिस्तान और शांति दूत इमरान खान का बैंड बजा दिया। कश्मीर से 370 हटाने की बात को भी खूब ललकार कर मोदी ने रखा। भारतीय मूल के हर क्षेत्र के अमरीकी यहां उपस्थित थे। व्यापारिक और रक्षा संबंधों की बात भी दोनों ने की। अमरीका में आज का दिन नरेंद्र मोदी के बहाने भारत के गौरव का दिन रहा। नरेंद्र मोदी का खूब बड़ा वाला सैल्यूट ! महाशक्ति के साथ कंधे से कंधा मिला कर , बराबरी के साथ खड़े होने पर सैल्यूट !

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आप करते रहिए तीन-तिकड़म और कुढ़ कर , खीझ कर बताते रहिए कि ट्रंप ने मोदी का इस्तेमाल किया है अपने चुनाव खातिर। सच यह है कि मोदी ने ट्रंप को मित्रवत भारत के पक्ष में कर लिया है। मित्रवत ही नहीं , कूटनीतिक रूप से ही। यह पहली बार ही हुआ है कि महाशक्ति ट्रंप ने पब्लिकली कहा कि अगर मोदी बुलाएंगे तो भारत ज़रूर आऊंगा। और देखिए कि मोदी ने बिना समय गंवाए , फौरन ट्रंप को सपरिवार निमंत्रण दे दिया। दोनों ने एक दूसरे की तारीफ की। ट्रंप ने मोदी को टफ डील वाला बताया तो मोदी ने ट्रंप को आर्ट आफ डील के लिए याद किया। अभी दो तीन दिन में भारत के पक्ष में कुछ और चौकाने वाले फैसले आने वाले हैं। सचमुच यह नई हिस्ट्री और नई केमिस्ट्री है। सचमुच जैसा कि इस कार्यक्रम हाऊडी मोदी को परिभाषित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कई सारी भारतीय भाषाओँ में जो एक बात बार-बार कही , वह ठीक ही कही कि , भारत में सभी कुछ अच्छा है !

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अलग बात है मुट्ठी भर दिलजले इस टिप्पणी को पढ़ कर मुझ से भी कुढ़ कर जल भुन जाएंगे। मुझे फिर गरियाएंगे। बताएंगे कि पत्रकार और साहित्यकार को सत्ता के ख़िलाफ़ रहना चाहिए। गुड है । ऐसे लोगों की बीमारी और मनोवृत्ति पर गोरख पांडेय की एक कविता याद आती है :
राजा ने कहा रात है
रानी ने कहा रात है
मंत्री ने कहा रात है
सब ने कहा रात है
यह सुबह-सुबह की बात है !
क्षमा कीजिए , मुझे सुबह को रात कहने की कला नहीं आती। इस कला से , इस बीमारी से मैं मुक्त हूं। मुझे मुक्त रहने दीजिए।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)