अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाता है, तो जानें क्या-क्या बदल जायेगा?

दिल्‍ली के पूर्ण राज्‍य बनने पर यहां भी ईंधन पर टैक्‍स दरें बढ़ेंगी । लेकिन साथ ही दिल्‍ली को भी वित्‍त मंत्रालय की ओर से पैसा मिलेगा, जिससे विकास कार्य किए जा सकेंगे ।

New Delhi, Sep 25: दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का वादा केजरीवाल सरकार भी है और पूर्व में कांग्रेस सरकार भी इसे भुनाती रही है । अब खबर आ रही है कि केन्‍द्र सरकार यानी कि बीजेपी भी ऐसा करने की ओर विचार कर सकती है । दिल्‍ली में जल्‍द विधानसभा चुनाव होने है जिसके चलते दिल्‍ली वालों के भले, दिल्‍ली के विकास की बातें सभी दलों की ओर से की जाने लगी है और ऐसे में दिल्‍ली को फुल स्‍टेट का दर्जा दिलाना, ये मुद्दा भी टॉप लिस्‍ट में शुमार है । आइए आपको बताते हैं अगर आने वाले समय में दिल्‍ली केन्‍द्र शासित प्रदेश से पूर्ण राज्‍य में तब्‍दील हो जाता है तो तो क्या-क्या बदल जायेगा?

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दिल्‍ली अभी है केन्‍द्र शासित प्रदेश
दिल्‍ली, जो कि देश की राजधानी भी है, उसे संविधान के अनुच्छेद 239A के तहत केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है । सन 1991 में 69वें संविधान संशोधन से दिल्ली को विशेष राज्य का दर्जा भी दिया गया और इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घोषित किया गया । इसके साथ ही यहां की देखभाल के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर को दिल्ली का प्रशासक घोषित किया गया । दिल्ली की अपनी 70 सीटों वाली विधानसभा है, जिसके लिए चुनाव होते हैं और चुनी हुई सरकार आती है ।

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दिल्‍ली सरकार के अधिकार सीमित
चूंकि प्रशासक उपराज्यपाल हैं और वो राष्ट्रपति की ओर से काम कर रहे हैं, इसलिए दिल्‍ली सरकार से किसी तरह के मतभेद होने पर फाइलें सीधे राष्‍ट्रपति भवन जाती हैं  । दिल्ली सरकार को दिल्‍ली में “जन, जमीन और पुलिस” पर कोई कानून बनाने का अधिकार नहीं है, यह पूरी तरह से केंद्र का अधिकार क्षेत्र है । उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल की सलाह से फ़ैसला कर सकते हैं लेकिन वो सरकार के हक में ही फैसला करेंगे ये जरूरी नहीं है ।

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अगर दिल्‍ली बन जाए पूर्ण राज्‍य ?
अगर दिल्ली पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्‍त कर लेती है तो क्‍या होगा, आइए आपको बताते हैं । दिल्ली में उपराज्यपाल की जगह राज्यपाल की नियुक्ति की जाएगी । दिल्ली के पास अपना “लोक सेवा आयोग” नही है, दिल्‍ली के पूर्ण राज्‍य बनने पर अधिकारियों की नियुक्ति दिल्ली सरकार अपने हिसाब से कर सकेगी । इसके साथ ही दिल्ली का पुलिस पर नियंत्रण होगा, हालांकि इनके वेतन आदि का भार भी दिल्‍ली सरकार पर ही पड़ेगा । दिल्‍ली के पूर्ण राज्‍य बनने पर यहां भी ईंधन पर टैक्‍स दरें बढ़ेंगी । लेकिन साथ ही दिल्‍ली को भी वित्‍त मंत्रालय की ओर से पैसा मिलेगा, जिससे विकास कार्य किए जा सकेंगे ।
बढ़ेगा कर !
लेकिन इन सबके बीच दिल्‍ली वालों पर कर का बोझ भी बढ़ेगा । केन्‍द्र द्वारा शासित होने के कारण दिल्‍ली सरकार और अभी सस्‍ता ईंधन प्राप्‍त है, पुलिस और कई विभागों की सेवाएं मुफ्त में प्राप्‍त है क्‍योंकि उनका भुगतान केन्‍द्र द्वारा किया जाता है । लेकिन यही जब दिल्‍ली सरकार के हाथ में होगा तो जनता पर कर का बोझ बढ़ना निश्चित है । दिल्ली में ईंधन और अन्य वस्तुओं पर वैट की दर बेंगलुरू, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों की तुलना में कम है, लेकिन जब दिल्ली सरकार को अपने खर्चों का इंतजाम खुद करना पड़ेगा तो उसे इन वस्तुओं पर कर की दरें भी बढ़ानी पड़ेगी जिससे दिल्‍ली में भी महंगाई होगी । दिल्ली में बिजली की दरें, जो कि पूरे देश में सबसे कम है उन्हें भी बढ़ाना पड़ सकता है ।